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26 जुलाई : विजय कारगिल दिवस, जानें 15 अनसुने तथ्य

हमें फॉलो करें 26 जुलाई : विजय कारगिल दिवस, जानें 15 अनसुने तथ्य

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 26 जुलाई 2024 (09:20 IST)
Aaj Kargil Vijay Diwas 
 
Highlights 
 
जानें कारगिल विजय दिवस की कहानी।
कारगिल विजय दिवस की गाथा। 
कारगिल युद्ध के 25 साल, एक नजर 15 खास बातों पर। 

Kargil Vijay Diwas: प्रतिवर्ष 26 जुलाई का दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम देकर 26 जुलाई 1999 को घुसपैठियों के चंगुल से भारत भूमि को मुक्त कराया था और देश के इन वीर सपूतों ने कारगिल की चोटियों से पाकिस्तानी फौज को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। 
आइए जानते हैं यहां कारगिल दिवस ऑपरेशन विजय के खास 15 तथ्य : 
 
1. कारगिल भारतीय राज्य लद्दाख का एक सीमावर्ती क्षेत्र है। यहां की कुछ क्षेत्र और पहाड़ियों पर पाकिस्तानी फौज ने घुसपैठ करके कब्जा कर चौकिया बना रखी थी, जहां पर ट्रेंड आतंकवादियों के साथ फौज भी जमी हुई थी। 
 
2. कारगिल में घुसपैठ की सबसे पहले जानकारी ताशी नामग्याल नामक एक स्थानीय चरवाहे ने दी थी, जो कि कारगिल के बाल्टिक सेक्टर में अपने नए याक की तलाश कर रहे थे। याक की खोज के दौरान उन्हें संदिग्ध पाक सैनिक नजर आए थे।
 
3. इसके बाद 3 मई को पहली बार भारतीय सेना को गश्त के दौरान पता चला था कि कुछ लोग वहां पर हरकत कर रहे हैं। पहली बार द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया था। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी जिन्हें इस घुसपैठ की सूचना दी गई।
 
4. जब 8 मई 1999 पाकिस्तान की 6 नॉरदर्न लाइट इंफैंट्री के कैप्टेन इफ्तेखार और लांस हवलदार अब्दुल हकीम 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर बैठे हुए थे। उन्होंने देखा कि कुछ भारतीय चरवाहे कुछ दूरी पर अपने मवेशियों को चरा रहे थे। वे आपस में बात करने लगे कि क्या इन्हें बंधक बना लिया जाए।
 
5. करीब डेढ़ घंटे बाद ये चरवाहे भारतीय सेना के 6-7 जवानों के साथ वहां वापस लौटे। जब भारतीय सैनिकों को यह समझ में आया कि बहुत सारे पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की पहाड़ियों की ऊंचाइयों पर कब्जा जमा लिया है तब उन्होंने अपनी दूरबीनों से इलाके का मुआयना किया और वापस चले गए। करीब 2 बजे वहां एक लामा हेलिकॉप्टर उड़ता हुआ आया और उन्होंने आजम, तारिक और तशफीन चौकियों पर जम कर गोलियां चलाईं। 
 
6. कैप्टन इफ्तेखार ने बटालियन मुख्यालय से भारतीय हेलिकॉप्टरों पर गोली चलाने की अनुमति मांगी लेकिन उन्हें ये इजाजत नहीं दी गई, क्योंकि वे कुछ बड़ा करने का सोच रहे थे। जिससे की भारतीय सैनिकों को सरप्राइज मिले। 
 
7. भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। 8 मई 1999 में ही इसकी शुरुआत हो चुकी थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था। उस समय भारतीय सेना के प्रमुख जनरल वेदप्रकाश मलिक पोलैंड और चेक गणराज्य की यात्रा पर गए हुए थे। वहां उनको इसकी पहली खबर सैनिक अधिकारियों से नहीं, बल्कि वहां के भारतीय राजदूत के जरिये मिली।
 
8. भारतीय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फोन मिलाया। वाजपेयी ने शरीफ से शिकायत की कि आपने मेरे साथ बहुत बुरा सलूक किया है। एक तरफ आप लाहौर में मुझसे गले मिल रहे थे, दूसरी तरफ आप के लोग कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा कर रहे थे। नवाज शरीफ ने कहा कि उन्हें इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है। मैं परवेज मुशर्रफ से बात कर आपको वापस फोन मिलाता हूं। 
 
9. उसी वक्त वाजपेयी जी ने कहा, 'आप एक साहब से बात करें जो मेरे बगल में बैठे हुए हैं।' नवाज शरीफ उस समय सकते में आ गए, जब उन्होंने फोन पर मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार की आवाज सुनी। दिलीप कुमार ने उनसे कहा, 'मियां साहब, हमें आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी,क्योंकि आपने हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच अमन की बात की है।'
 
10. इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 5000 सैनिक शामिल थे। इसी के साथ हजारों आतंकवादी भी इस युद्ध में शामिल थे। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिक 15 हजार फीट ऊपर थे और भारतीय सेना उनसे चार हजार फीट नीचे थी।
 
11. कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार थी, जिसने एक ओर तो भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाया और दूसरी ओर उसने घुसपैठ कराकर भारत को धोखा दिया। इस युद्ध में बोफोर्स तोफो का उपयोग किया गया। इसकी वजह से दुश्मन घुटने टेकने पर मजबूर हुए। यह पहला युद्ध था जबकि विश्‍व की सबसे ऊंचाई वाले क्षेत्र में लड़ा गया। 
 
12. भारतीय सेना ने 9 जून को बाल्टिक क्षेत्र की 2 चौकियों पर कब्जा कर लिया। फिर 13 जून को द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पर कब्जा जमाया। हमारी सेना ने 29 जून को दो अन्य महत्वपूर्ण चौकियों 5060 और 5100 पर कब्जा कर अपना परचम फहरा दिया। करीब  11 घंटे लड़ाई के बाद पुन: टाइगर हिल्स पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया, फिर बटालिक में स्थित जुबर हिल को भी कब्जाया गया। 1999 में हुए कारगिल युद्ध में आर्टिलरी तोप से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे। 300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों से रोज करीब 5,000 बम फायर किए गए थे।
 
13. 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था। कारगिल की ऊंचाई समुद्र तल से 16,000 से 18,000 फुट ऊपर है, ऐसे में उड़ान भरने के लिए विमानों को करीब 20,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है।
 
14. कारगिल युद्ध में मिराज के लिए महज 12 दिन में लेजर गाइडेड बम प्रणाली तैयार की गई थी। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 विमानों का प्रयोग किया था। कैप्टन विक्रम बत्रा 1999 के कारगिल युद्ध के हीरो थे। उन्होंने पॉइंट 5140 को पाकिस्तानी कब्जे से मुक्त करवाया था। कैप्टन विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिये अपना विजय उद्घोष 'यह दिल मांगे मोर' कहा तो सेना ही नहीं बल्कि पूरे भारत में उनका नाम छा गया। इसी दौरान विक्रम के कोड नाम शेरशाह के साथ ही उन्हें 'कारगिल का शेर' की भी संज्ञा दे दी गई।
 
15. करीब 3 महीने चले इस युद्ध में भारत के 562 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए थे, जबकि पाकिस्तान के अधिकृत आंकड़ों के अनुसार 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए और जबकि 1500 से अधिक घायल हुए। अनाधिकृत आंकड़ों के अनुसार 3000 सैनिकों के मारे जाने की बात कही जाती है।  कारगिल युद्ध को लेकर कई बॉलीवुड की फिल्में बनी है। एलओसी- कारगिल (2003), धूप (2003),  स्टम्प्ड (2003), लक्ष्य (2004), टैंगो चार्ली (2005), मौसम (2011) और शेरशाह (2021) में बनी इस बायोपिक फिल्म में 1999 में हुए कारगिल युद्ध के कैप्टन और परमवीर चक्र विजेता विक्रम बत्रा का किरदार सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया था। 

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