* नेत्र रोग दूर करने के सरल उपाय- प्रतिदिन सबेरे बिछौने से उठते ही सबसे पहले मुंह में जितना पानी भरा जा सकें, उतना भरकर दूसरे जल से आंखों को बीस बार झपटा मारकर धोना चाहिए। प्रतिदिन दोनों समय भोजन के बाद हाथ-मुंह धोते समय कम-से-कम सात बार आंखों में जल का झपटा देना चाहिए। जितनी बार मुंह में जल डाले, उतनी बार आंखे और मुंह को धोना न भूले। प्रतिदिन स्नान के वक्त तेल मालिश करते समय सबसे पहले दोनों पैरों के अंगूठों के नखों को तेल से भर देना चाहिए और फिर तेल लगाना चाहिए। इससे दृष्टिशक्ति सतेज होती है। आंखे स्निग्ध रहती है और आंखों में कोई बीमारी होने की सम्भावना नहीं रहती। नेत्र मनुष्य का परम धन हैं। ये कुछ नियम नेत्रों के लिए विशेष लाभदायक हैं। अतएवं प्रतिदिन नियम-पालन में कभी आलस्य नहीं करना चाहिए।
* दांत के रोग- प्रतिदिन जितनी बार मल-मूत्र का त्याग करें, उतनी बार दांतों की दोनों पंक्तियों को मिलाकर जरा जोर से दबाए रखे। जब तक मल या मूत्र निकलता रहे तब तक दांतों से दांत मिलाकर इस प्रकार दबाएं रहना चाहिए। दो-चार दिन ऐसा करने से कमजोर दांतों की जड़ मजबूत हो जाएगी। सदा इसका अभ्यास करने से दंतमूल दृढ़ हो जाता है और दांत दीर्घकाल तक साथ देते हैं तथा दांतों में किसी प्रकार की बीमारी होने का कोई डर नहीं रहता।
* दाहिनी नाक से श्वास का लाभ- उदरामय, अजीर्णादि में स्वर परिवर्तन- भोजन, जलपान आदि जब जो कुछ खाना हो वह दाहिनी नाक से श्वास चलते समय खाना चाहिए। प्रतिदिन इस नियम से आहार करने से वह बहुत आसानी से पच जाएगा और कभी अजीर्ण का रोग नहीं होगा। जो लोग इस रोग से कष्ट पा रहे हैं, वे भी यदि इस नियम के अनुसार रोज भोजन करें तो खाए पदार्थ पच जाएंगे और धीरे-धीरे उनका रोग दूर हो जाएगा।
* बाईं करवट सोने के फायदे- भोजन के बाद थोडी देर बाईं करवट सोना चाहिए। जिन्हें समय न हो उन्हें ऐसा उपाय करना चाहिए कि जिससे भोजन के बाद दस-पंद्रह मिनट तक दाहिनी नाक से श्वास चले अर्थात् पूर्वोक्त नियम के अनुसार रुई द्वारा बाईं नाक बंद कर देनी चाहिए। भारी भोजन होने पर भी इस नियम से वह शीघ्र पच जाता है।