कान फिल्म फेस्टिवल की पहली स्क्रीनिंग सुबह साढ़े आठ बजे की होती है लेकिन अगर यह खातरी रखनी है कि जगह मिल ही जाएगी तो कम से कम आधा घंटे पहले ही पहुंचना होता है। .. ऐसी ही स्क्रीनिंग में एक जनाब कहते हुए पाए गए कि मैं हर साल यह सोचता हूं कि आखिर मैं खुद पर यह अत्याचार क्यों करता हूं लेकिन फिर अगली बार पहुंच ही जाता हूँ। .. दरअसल फिल्मों का और खासतौर से इस तरह के वर्ल्ड सिनेमा का नशा ही कुछ इस तरह का है कि यह लत छूटती नहीं है और इसका कोई इलाज भी नहीं है। और यही वजह है कि दिन भर में ज्यादा से ज्यादा फिल्में देखने की कोशिश आखिरी दिन तक चलती रहती है।
कान फिल्म फेस्टिवल से जुड़ा फ्रेंच सिनेमा के मशहूर नाम जेरार्ड देपार्दिओ का किस्सा बहुत शानदार है। 1964 में पहली बार 15 साल के जेरार्ड लोगों से लिफ्ट मांगमांग कर कांन फिल्म फेस्टिवल को देखने पहुंचे और सडकों पर घूमते रहे, इसके दो साल बाद वो अपने दोस्तों के साथ यहां लौटे और बीच पर छाते और कुर्सियां जमाने का काम भी किया और फिर 1990 का वो वक़्त भी आया जब उन्हें कान फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला।
अनसर्टेन रेगार्ड सेक्शन में स्वीडन और डेनमार्क की फिल्म बॉर्डर शामिल है। यह फिल्म टीना की कहानी है जिसे इंसान की गंध से पता चल जाता है कि कुछ तो गड़बड़ है। वो बॉर्डर सिक्योरिटी में काम करती है और चोरी छुपे सामान ले जाने वालों को सूंघ कर ही पकड़ लेती है। टीना के किरदार में स्वीडन की कलाकार ईवा मेलाण्डर हैं। टीना के चहरे को मेकअप से कुछ इस तरह का बनाया है कि नज़र भर के देखने में हिचकिचाहट हो। लेकिन क्या सिर्फ यह वजह होना चाहिए कि इस इंसान को जानने या पसंद करने के लिए। बिलकुल नहीं लेकिन ऐसा होता है कई बार यह बिना सोचे समझे हो जाता है और कई बार जान बूझ कर अनदेखी की जाती है
खैर टीना को इस से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता, कम से कम ऊपरी तौर पर। वो अपनी ज़िन्दगी में सुकून से है लेकिन फिर उसे कोई मिलता है जो उस जैसा ही है। और यहां से कहानी कई मोड़ मुड़ती है। डायरेक्टर अली अब्बासी ने इस फिल्म में सुपरनैचरल लोगों के जरिये से इंसानी कमियां दिखाई हैं।
और एक वक़्त आता है कि जब टीना यह कहती है कि अगर मैं किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाना चाहती और यह मुझे इंसान बनाता है तो मैं इंसान ही हूं। फिल्म में डायरेक्टर ने बच्चों के यौन शोषण के मुद्दे पर बहुत ही स्ट्रांग कमेंट किया है। एक जगह टीना का दोस्त उसे कहता है कि हम लोग अच्छे हैं कम से कम हम अपने ही बच्चों का तो शोषण नहीं कर रहे।
इंसान जो इस धरती का सबसे ताकतवर जानवर है ऐसे भयावह अपराध करता है कि उनका कोई तर्क संगत जवाब हो ही नहीं सकता। ..
कॉम्पीटीशन सेक्शन की फिल्मों की स्क्रीनिंग के इस नए टाइम टेबल से कुछ लोग खुश नहीं हैं। क्योंकि अब एक फिल्म रोज़ाना ऐसी है जिसे रेड कारपेट इवेंट के चलते देर शाम को दिखाया जाता है और वो फिल्म प्रेस वालों के लिए सुबह दिखाई जाती है। अब बात है कान फिल्म फेस्टिवल की और यहां के सिस्टम की। और इसी के चलते कुछ ख़ास क्रिटिक और पत्रकार बाकायदा निमंत्रण के साथ रेड कारपेट स्क्रीनिंग देख लेते हैं। और यह बात कई लोगों को हजम नहीं हो रही है। क्योंकि जब सुबह की स्क्रीनिंग देखकर बाहर निकलो तो इन पहले नम्बरियों के कमेंट हाजिर होते हैं। इसी वजह से शुक्रवार को सुबह पोलैंड की फिल्म कोल्ड वॉर की स्क्रीनिंग के बाद जैसे ही स्क्रीन मैगज़ीन हाथ में आयी और उसमें रिव्यु छपी देख कर कई लोगों को बहुत बुरा लगा। फिल्म बहुत अच्छी है लेकिन कोई पहले तारीफ कर दे तो लोगों को अपनी तारीफ कमतर लगने लगती है। वाकई इंसान ऐसा जानवर है जो कभी भी खुश नहीं होता है।
और अंत में रेड कारपेट की खबर। दीपिका, कंगना और हुमा और मलाइका शेरावत ने अपने जलवे बिखेर दिए हैं लेकिन अकेली दीपिका ही ऐसी हैं जिन्हें मैगज़ीन ने सबसे ज्यादा चमड़ी दिखाती ड्रेस पहनने वाली शख्सियतों में शामिल किया है।