होली पर अक्सर हुड़दंग रहती है। अक्सर यह देखा गया है कि होली खेलने के बाद कई लोगों को आंखों में जलन होती है तो कईयों की त्वचा खराब हो जाती है। कई दिनों तक शरीर पर जमा रंग निकलता नहीं है। ऐसे में कुछ सावधानियों का पालन जरूर करें। खासकर बच्चों का ध्यान रखें।
होली खेलने के लिए रंग कैसे चुनें?
1.प्राकृतिक रंग : होली खेलने के लिए बाजार में कई तरह के रंग उपलब्ध है। उनमें से कुछ तो बहुत ही हानिकारक होते हैं। इन केमिकल रंगों से बचें और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें।
2.सूखा रंग : प्राकृतिक रंगों के साथ ही बाजार में सूखा रंग भी मिलता है। जैसे गुलाल, अबीर आदि। सूखे रंगों का अधिक प्रयोग करें। ये रंग आसानी से साफ हो जाते हैं। इन रंगों में पानी का उपयोग भी करेंगे तो कोई खास असर नहीं होगा।
3.फूलों के रंग : पहले होली के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता था। वो रंग त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते थे क्योंकि उनमें कोई रसायन नहीं होता था। आजकल भी ग्रामिण क्षेत्र में ऐसे रंग मिलते हैं।
हानिकारक रंगों से कैसे बचें?
1. सनग्लासेस : सबसे पहले आंखों को इन हानिकारक रंगों से बचाएं। इसके लिए सनग्लासेस का प्रयोग करें क्योंकि ये आपकी आंखों को रंग से बचाकर रखने में काफी मदद करेगा।
2.नारियल का तेल : होली खेलने जाने से पहले आप अपने बालों और संपूर्ण शरीर पर अच्छे से नारियल का तेल लगाकर जाएं। तेल लगाने से किसी भी प्रकार का रंग आसानी से त्वचा पर चिपकता नहीं है और तेल होने के कारण यह अच्छे से निकल भी जाता है।
3. स्पंज से नहाएं : नहाते वक्त कुछ लोग डिटर्जेंट का उपयोग करते हैं जो कि गलत है। आप किसी अच्छे साबून का प्रयोग करें। पहले संपूर्ण शरीर पर अच्छे से साबून लगा लें फिर उसे हल्के हल्के स्पंज के बड़े-बड़े टुकड़ों से रगड़े। यदि प्राकृतिक रंग होगा तो जल्दी से निकल जाएगा लेकिन यदि केमिकल रंग होगा तो देर लगेगी। केमिकल रंगों को जबरन निकालने का प्रयास ना करें। वह वक्त के साथ खुद ब खुद ही निकल जाएंगे। जबरन निकालने में त्वचा को नुकसान पहुंचेगा।