होली का त्योहार : जानिए Holi पर्व की 10 खास पौराणिक बातें

Webdunia
Holika Dahan
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। आइए जानते हैं होली से जुड़ी कुछ खास बातें- 
 
1. होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी हो जाती है। इसलिए होली पर्व नवसंवत और नववर्ष के आरंभ का प्रतीक है।
 
2. 'होली' भारत का उमंग, उल्लास के साथ मनाने वाला सबसे प्राचीन त्योहार है।
 
3. पहले होली का नाम ' होलिका' या 'होलाका' था। साथ ही होली को आज भी 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है।
 
4. इतिहासकारों का मानना है कि ये पर्व आर्यों में भी प्रचलित था, लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में इस त्योहार के बारे में लिखा हुआ है। इसमें खास तौर पर 'जैमिनी' के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र शामिल हैं। नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है।
 
5. प्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। साथ ही भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिंदू ही नहीं 'मुसलमान' भी मनाते हैं।
 
6. अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन इतिहास में है। अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहांगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है।
 
7. शाहजहां के समय तक होली खेलने का मुगलिया अंदाज ही बदल गया था। शाहजहां के जमाने में होली को 'ईद-ए-गुलाबी' या 'आब-ए-पाशी' (रंगों की बौछार) कहा जाता था।
 
8. मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे। वहीं हिन्दी साहित्य में कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तार रूप से वर्णन किया गया है।
 
9. संस्कृत साहित्य में होली के कई रूप हैं। जिसमें श्रीमद्भागवत महापुराण में होली को रास का वर्णन किया गया है। महाकवि सूरदास ने वसंत एवं होली पर 78 पद लिखे हैं।
 
10. शास्त्रीय संगीत का होली से गहरा संबंध है। हालांकि ध्रुपद, धमार और ठुमरी के बिना आज भी होली अधूरी है। वहीं राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली के गानों का रंग ही अलग है।

ALSO READ: Holi 2021 : कब है होलाष्टक, होलिका दहन, रंगों की होली और रंगपंचमी

ALSO READ: ब्रजमंडल में होली की धूम, जानिए बरसाने की होली की 5 खास बातें

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

सिंधु नदी के 10 रोचक तथ्य, पाकिस्तान के सिंध प्रांत को क्या कहते थे पहले?

वास्तु के अनुसार कैसे प्राप्त कर सकते हैं नौकरी

रामायण से लेकर महाभारत तक के भगवान परशुरामजी के 8 किस्से

बाबा नीम करोली के अनुसार धन कमाने के बाद भी निर्धन रहते हैं ये लोग

अक्षय तृतीया पर बन रहे हैं 3 शुभ योग, कर लें 5 उपाय, होगी धन की वर्षा

सभी देखें

धर्म संसार

Pradosh Vrat 2025: शुक्र प्रदोष व्रत आज, जानें मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और कथा

Aaj Ka Rashifal: 25 अप्रैल का दैनिक राशिफल, आज आपके जीवन में क्या बदलाव आ सकते हैं?

युद्ध के बारे में क्या कहती है महाभारत, जानिए 10 खास सबक

पहलगाम का वह मंदिर जहां माता पार्वती ने श्री गणेश को बनाया था द्वारपाल, जानिए कौन सा है ये मंदिर

25 अप्रैल 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख
More