भद्रा उपरांत करें होलिका-दहन
इस वर्ष देश भर में रंगों का त्योहार होली 20 मार्च को मनाया जाएगा एवं 21 मार्च को धुलेंडी (फ़गुआ) खेला जाएगा। होलिका दहन प्रतिवर्ष की ही भांति फ़ाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की रात्रि को होगा। शास्त्रानुसार भद्राकाल में होलिका दहन नहीं किया जाता है। 20 मार्च को भद्राकाल रात्रि 8 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। अत: भद्राकाल व्यतीत हो जाने के उपरान्त अर्थात् रात्रि 8 बजकर 36 मिनट के उपरांत ही होलिका-दहन किया जा सकेगा। भद्राकाल में होलिका दहन करने से राजा को हानि व प्रजा को कष्ट होता है व राष्ट्र में विद्रोह एवं अशांति होती है। भद्राकाल में होलिका-दहन किया जाना शास्त्रानुसार निषिद्ध है।
होली के धुएं से मिलता है भविष्य-संकेत-
शास्त्रों में होलिका-दहन के पश्चात उठे धूम्र (धुएं) की दिशा से भी भविष्य-कथन किए जाए का उल्लेख है। होली का धुआं यदि पूर्व दिशा की ओर जाए तो देश में सुख रहेगा, यदि दक्षिण दिशा की ओर जाए तो सत्ता-परिवर्तन होगा, पश्चिम दिशा की ओर होली का धुआं जाने से राज्य में अकाल की संभावना होती है एवं उत्तर दिशा की ओर होली का धुआं जाने से धन-धान्य व सुख-समृद्धि होती है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com