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Holi 2024: बरसाना की होली की 5 रोचक बातें

बरसाना की लट्ठमार और लड्डू होली

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WD Feature Desk

Barsana lathmar holi
Laddu Fek Holi Barsana 2024: बरसाना राधा रानी का जन्म स्थान है। वहां की होली को होरी या फागु उत्सव कहते हैं। यहां बसंत पंचमी से ही होलिकात्सव प्रारंभ हो जाता है। यहां कई तरह से होली खेलते हैं। जैसे रंग लगाकर, डांडिया खेलकर, लट्ठमार होली, लड्डू होली आदि। फाल्गुन मास की नवमी से ही पूरा ब्रज रंगीला हो जाता है।
1. होली का डांडा : ब्रज में रंगों के त्योहार होली की शुरुआत वसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाती है। इसी दिन होली का डांडा गढ़ जाता है। इसके बाद महाशिवरात्रि के दिन श्रीजी मंदिर में राधारानी को 56 भोग का प्रसाद लगता है।
 
2. लड्डूफेंक होली : होलाष्टक जब प्रारंभ होता है यानी अष्टमी के दिन बरसाने का एक-एक व्यक्ति जिसे पंडा कहते हैं वह नंदगांव जाकर होली खेलने का निमंत्रण देता है और जब वह पुन: श्रीजी मंदिर लौटता है तब उसके स्वागत में लड्डूफेंक होली खेलते हैं। मंदिर प्रांगण में भक्त एक दूसरे पर होली खेलते हुए लड्डू फेंकते हैं। कई सौ किलो लड्डुओं के साथ बरसाना के लाडली मंदिर में गुलाल उड़ाकर होली खेली जाती है।
 
3. नवमी पर मचती है हुड़दंग : नवमी के दिन जोरदार तरीके से होली की हुड़दंग मचती है। नंदगांव के पुरुष नाचते-गाते छह किलोमीटर दूर बरसाने पहुंचते हैं। इनका पहला पड़ाव पीली पोखर पर होता है।
4. लट्ठमार होली : इसके बाद सभी राधारानी मंदिर के दर्शन करने के बाद लट्ठमार होली खेलने के लिए रंगीली गली चौक में जमा होते हैं। इस दिन कृष्ण के गांव नंदगांव के पुरुष बरसाने में स्थित राधा के मंदिर पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं लेकिन बरसाने की महिलाएं एकजुट होकर उन्हें लट्ठ से खदेड़ने का प्रयास करती हैं। इस दौरान पुरुषों को किसी भी प्रकार के प्रतिरोध की आज्ञा नहीं होती। वे महिलाओं पर केवल गुलाल छिड़ककर उन्हें चकमा देकर झंडा फहराने का प्रयास करते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाकर श्रृंगार इत्यादि करके सामूहिक रूप से नचाया जाता है। दशमी के दिन इसी प्रकार की होली नंदगांव में होती है। वहीं लट्ठमार होली। ब्रज में लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है, इस होली को खेलने के लिए कृष्ण प्रेमी/भक्त देश-विदेश से बरसाने यानी राधा-कृष्ण नगरी आते हैं।
 
5. होरी गीत : राधा-कृष्ण के वार्तालाप पर आधारित बरसाने में इसी दिन होली खेलने के साथ-साथ वहां का लोकगीत 'होरी' गाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। भांग का सेवन करते हैं। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है।

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