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शुरू होने वाला है पुरुष हॉकी विश्वकप, Top 10 टीमों की यह है ताकत और कमजोरियां

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, गुरुवार, 12 जनवरी 2023 (16:07 IST)
भुवनेश्वर/राउरकेला: रंगारंग शुरुआत के बाद 13 जनवरी से उड़ीसा के भुवनेश्वर और राउरकेला में पुरुष हॉकी विश्वकप का आगाज हो जाएगा। इसमें भाग लेनी वाली टीमों की सूक्ष्म ताकतें और कमजोरी निम्नलिखित हैं।

अर्जेंटीना (विश्व रैंकिंग: सात)
 
रियो ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना अमेरिकी महाद्वीप की शीर्ष टीम है जिसने 14 मौकों पर महाद्वीपीय खिताब जीता है।
 
तेजतर्रार शैली और तकनीकी क्षमता के साथ टीम अपने दिन दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकती है। उन्होंने नवंबर में ओलंपिक और विश्व चैंपियन बेल्जियम पर अपनी 2-1 की जीत के दौरान यह दर्शाया था।
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अर्जेंटीना के पूर्व गोलकीपर मारियानो रोनकोनी के मार्गदर्शन में खल रही टीम हालांकि टीम विश्व कप में संघर्ष करती रही है। अर्जेन्टीना की टीम अब तक 13 प्रास में सिर्फ एक बार 2014 में सेमीफाइनल में पहुंची और तब टीम तीसरे स्थान पर रही थी।
 
पिछली बार टीम अपने ग्रुप में शीर्ष पर थी लेकिन क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड से 2-3 से हार गई।टीम को स्टार पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ गोंजालो पिलात की कमी महसूस होगी जो अर्जेंटीना के लिए 100 से अधिक मैच खेलने के बाद जर्मनी की टीम से जुड़ गए।अगस्टिन माजिली, लुकास विला और टीम के कप्तान मातियास रे पर भी सभी की नजरें रहेंगी।
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ऑस्ट्रेलिया (विश्व रैंकिंग: एक)
 
पिछले 30 बरस में ऑस्ट्रेलिया की टीम ने पुरुष हॉकी में सबसे निरंतर प्रदर्शन किया है। इस दौरान टीम एफआईएच विश्व रैंकिंग में शीर्ष चार में बनी रही। उन्होंने ओलंपिक, विश्व कप, एफआईएच हॉकी प्रो लीग और ओसियाना कप खिताब सहित सभी टूर्नामेंट जीते।
 
पूर्व स्ट्राइकर कॉलिन बैच में मार्गदर्शन में खेल रही टीम ने 2021 में तोक्यो ओलंपिक में बेल्जियम से शूट-आउट में हार के बाद से बहुत अधिक मुकाबले नहीं खेले हैं। टीम ने हालांकि पिछले साल अगस्त में बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में भारत को 7-0 से हराकर सातवीं बार खिताब अपने नाम किया।
 
तब से उन्होंने नवंबर-दिसंबर में घरेलू श्रृंखला में भारत के खिलाफ सिर्फ पांच मैच खेले जिसमें टीम ने 4-1 से जीत दर्ज की।
 
ऑस्ट्रेलिया ने इस सत्र में अपना प्रो-लीग अभियान शुरू नहीं किया है लेकिन उसे तेज गति की हॉकी के लिए जाना जाता है और टीम मजबूत डिफेंस के साथ आक्रामक हॉकी खेलती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऑस्ट्रेलियाई की नजरें रिकॉर्ड की बराबरी करने वाले चौथे विश्व खिताब पर होंगी।
 
पिछले टूर्नामेंट में तीसरे स्थान पर रही टीम के अहम खिलाड़ी कप्तान एडी ओकेनडेन, पेनल्टी कार्नर विशेषज्ञ ब्लेक गोवर्स, डिफेंडर जेक हार्वी और मिडफील्डर एरेन जालेवस्की हैं।
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बेल्जियम (विश्व रैंकिंग: दो)
 
यूरोपीय देशों के बीच बेल्जियम ने पिछले दो दशक में शीर्ष स्थान का सफर तय किया है। पिछले कुछ समय में टीम ने विश्व कप (2018), ओलंपिक (2021), यूरोपीय चैम्पियनशिप (2019) और एफआईएच हॉकी प्रो लीग (2020-21) सहित सभी प्रमुख खिताब जीते हैं।गत चैंपियन टीम एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड के साथ खिताब जीतने की प्रबल दावेदार है।
 
नीदरलैंड के माइकल वैन डेन ह्यूवेल के मार्गदर्शन में खेल रही टीम के पास विभाग में ताकत और गहराई है और उसके पास दुनिया के कुछ बेहतरीन खिलाड़ी हैं।
 
टीम ने अनुभवी खिलाड़यों पर भरोसा किया है। टीम के आधे से अधिक खिलाड़ी 30 साल से अधिक के हैं और टीम के आधे से अधिक खिलाड़ियों ने 200 के करीब या इससे अधिक मैच खेले हैं।
 
एफआईएच के साल के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर की दौड़ में भारत के पीआर श्रीजेश से पिछड़े विन्सेंट वनाश और लोइक वान डोरेन के रूप में टीम के पास दो विश्व स्तरीय गोलकीपर हैं जबकि आर्थर वान डोरेन, विक्टर वेगनेज, फेलिक्स डेनेयर, फ्लोरेंट वान ऑबेल, जॉन-जॉन डोहमेन, अलेक्जेंडर हेंड्रिकक्स, आर्थर डि स्लोवर और टॉम बून के रूप में टीम के पास असाधारण खिलाड़ी है।
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जर्मनी (विश्व रैंकिंग: चार)
 
चार ओलंपिक स्वर्ण पदक, दो विश्व कप और आठ यूरोपीय खिताबों के साथ जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय हॉकी में एक जीवंत इतिहास रहा है। टीम ओलंपिक और विश्व कप में लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रही है और ओडिशा में टीम इसे दोहराना चाहेगी।
 
तोक्या ओलंपिक में कांस्य पदक के प्ले ऑफ में भारत से हारने के बाद जर्मनी को आंद्रे हेनिंग के रूप में एक नया कोच मिला। टीम ने पिछले साल 18 में से 13 मैच जीतकर आठ महीने से अधिक की लंबी तैयारी की है।
 
साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी की दौड़ में शामिल रहे फॉरवर्ड निकलास वेलेन और सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर की दौड़ में शामिल गोलकीपर अलेक्जेंडर स्टेडलर जर्मनी की टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं। अन्य स्टार खिलाड़ी फारवर्ड क्रिस्टोफर रुहर और कप्तान मैट्स ग्रामबश हैं। स्टार पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ गोंजालो पिलाट ने 2016 में अर्जेन्टीना को ओलंपिक स्वर्ण दिलाने में मदद की थी और वह टीम को संतुलन प्रदर्शन करते हैं।
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भारत (विश्व रैंकिंग: छह)
 
भारत ने 1975 में एक बार विश्व कप जीता है और तब से सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहा है। उन्होंने 1971 में पहले टूर्नामेंट में कांस्य और 1973 में रजत पदक जीता। पिछले टूर्नामेंट में भुवनेश्वर में टीम ग्रुप चरण में शीर्ष पर रही लेकिन क्वार्टर फाइनल में नीदरलैंड से हार गई। टीम 1978 से 2014 तक ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ सकी।
 
ओलंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहने सहित विश्व स्तर पर पिछड़ने के बाद भारत एक बार फिर मजबूत दावेदार बनकर उभरा है।
 
एफआईएच हॉकी प्रो लीग के 2021-22 सत्र में तीसरे स्थान पर रहने के बाद तोक्या ओलंपिक टीम ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता।
 
जब से ग्राहम रीड ने मुख्य कोच का पद संभाला है भारत का कद और बढ़ गया है। वह भारत को कुशल और अनुशासित टीम बनाने में सफल रहे हैं जिसका विरोधी सम्मान करते हैं और उससे डरते भी हैं।
 
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से 0-7 से हारने के बाद भारत ने इस टीम के खिलाफ उसकी सरजमीं पर बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी श्रृंखला 1-4 से हार गया।
 
कप्तान और एफआईएच के साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह शानदार डिफेंडर और के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकर में से एक हैं। गोलकीपर पीआर श्रीजेश, दिग्गज मिडफील्डर मनप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह तथा स्ट्राइकर मनदीप सिंह खेल का रुख बदलने में सक्षम हैं।
 
डिफेंडर और पूर्व कप्तान अमित रोहिदास और फारवर्ड आकाशदीप सिंह पर भी नजरें रहेंगी।
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नीदरलैंड: (विश्व रैंकिंग: तीन)
 
खिलाड़ी के रूप में दो ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले मुख्य कोच जेरोइन डेलमी के मार्गदर्शन में नीदरलैंड की टीम प्रदर्शन में निरंतरता लाने में सफल रही है। वर्ष 2021 के दूसरे हाफ में पद संभालने के बाद डेलमी ने टीम को मजबूत बनाया है।
 
एफआईएच हॉकी प्रो लीग के 2021-22 सत्र में अपने 16 मैच में से 12 मैच जीतकर टीम ने खिताब जीता।पिछले दो एफआईएच पुरुष विश्व कप फाइनल में हार का सामना करने के बाद टीम की नजरें इस बार खिताब पर हैं। टीम चौथा विश्व खिताब जीतकर पाकिस्तान की बराबरी करने की कोशिश करेगी।
 
कप्तान थियेरी ब्रिंकमैन, स्ट्राइकर कोएन बिजेन, पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ जिप जेनसन और गोलकीपर पिरमिन ब्लाक उन खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन पर नजर रहेंगी।
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इंग्लैंड (विश्व रैंकिंग: पांच)
 
इंग्लैंड केवल एक बार 1986 में विश्व कप फाइनल में खेला था और तब उसे लंदन में घरेलू दर्शकों के सामने ऑस्ट्रेलिया से 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था। वे पिछले तीन टूर्नामेंट में चौथे स्थान पर रहे और नए मुख्य कोच पॉल रेविंगटन के मार्गदर्शन में टीम अपना पहला खिताब जीतने की उम्मीद कर रही होगी।
 
वे इस विश्व कप में एक युवा टीम के साथ आए हैं जिसमें से 10 खिलाड़ियों को इस स्तर पर खेलने का अनुभव नहीं है। जैच वालेस, कोंडोन डेविड, मार्टिन हैरी और रोपर फिल इंग्लैंड के उन खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन पर नजर रहेंगी।
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स्पेन (विश्व रैंकिंग: आठ)
 
स्पेन ने 1971 में पहले विश्व कप की मेजबानी की। टीम दो बार विश्व कप फाइनल खेल चुकी है लेकिन खिताब जीतने में नाकाम रही।
 
टीम पूल डी में छिपा रुस्तम होगी जिसमें भारत, इंग्लैंड और वेल्स भी हैं। भारत और न्यूजीलैंड जैसी टीमों के खिलाफ हाल की जीत से टीम का मनोबल बढ़ा होगा।
 
कोच मैक्स कैलडास के मार्गदर्शन में खेल रही टीम को अल्वारो इग्लेसियस, रिकार्डो सांचेज और एनरिक गोंजालेज से काफी उम्मीदें रहेंगी।
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कोरिया (विश्व रैंकिंग: 10)
 
पिछले टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहने के बाद कोरिया ने एशिया कप में शानदार जीत के साथ विश्व कप में वापसी की, जहां उन्होंने फाइनल में मलेशिया को हराया।
 
टीम नवंबर में सुल्तान अजलन शाह कप के फाइनल में मलेशिया से हारकर उप विजेता रही।सदाबहार 39 वर्षीय कप्तान नामयोंग ली टीम के प्रमुख खिलाड़ी हैं।
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न्यूजीलैंड (विश्व रैंकिंग: नौ)
 
न्यूजीलैंड अपने 11वें विश्व कप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। टीम कभी विश्व कप में सातवें से बेहतर स्थान हासिल नहीं कर पाई है यह सब इस बार बदल सकता है।
 
टीम के पास वास्तव में विश्व स्तर के कुछ खिलाड़ी हैं। टीम को डिफेंडर ब्लेयर टैरेंट, अनुभवी स्ट्राइकर साइमन चाइल्ड, पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ केन रसेल, मिडफील्डर निक रॉस और 19 वर्षीय चार्ली मॉरिसन से काफी उम्मीदें होंगी।

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