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Gita jayanti 2025: इस वर्ष 2025 में कब है गीता जयंती?

WD Feature Desk
सोमवार, 17 नवंबर 2025 (15:33 IST)
Geeta Jayanti 2025: हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती महोत्सव मनाया जाता है। इस बार 1 दिसंबर 2025 सोमवार को गीता की 5162वां वर्षगांठ का उत्सव मनाएंगे। इस दिन को मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं क्योंकि भगवान श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को इसी दिन मोक्ष का ज्ञान दिया था। गीता जयंती का दिन हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ श्रीमद भगवद गीता के जन्म का प्रतीक है।
 
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 30 नवम्बर 2025 को रात्रि 09:29 बजे से। 
एकादशी तिथि समाप्त- 01 दिसम्बर 2025 को शाम को 07:01 बजे तक। 
 
1 दिसंबर 2025 शुभ मुहूर्त: gita jayanti kab hai
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:49 से 12:31 तक।
विजय मुहूर्त: मध्यान्ह 01:55 से 02:37 तक। 
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:21 से 05:48 तक।
 
क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?
जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था और तब लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इसीलिए इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है, पापों से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख-शांति आती है एवं मोक्ष मिलता है।
 
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी पूजा विधि- Geeta Jayanti n Mokshada Ekadashi 2025
- मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस के दिन गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
- भगवान सूर्यदेव की उपासना करें। 
- एकादशी के एक दिन पूर्व से ही यानी दशमी से ही तामसिक भोजन का त्याग करें। 
- ब्रह्मचर्य रहकर एकादशी व्रत रखें। 
- गीता जयंती या मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्री विष्णु का स्मरण और ध्यान करके दिन की शुरुआत करें। 
- तपश्चात नित्य कर्म से निवृत्त होकर पानी में गंगाजल मिलाकर 'ॐ गंगे' का मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान-ध्यान करें। 
- स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके भगवान श्री विष्णु का पीले पुष्प, पीले फल, धूप, दीप, आदि चीजों से पूजन करें। 
- आरती करके पूजन संपन्न करें। 
- गीता पाठ का अध्याय पढ़ें और एकादशी की व्रतकथा का वाचन करें। 
- आज दिनभर व्रत-उपवास रखें। 
- सायंकाल पूजन-आरती के पश्चात प्रार्थना करके फलाहार करें।
- इस व्रत में एक बार जल और एक फल ग्रहण कर सकते हैं। 
- गीता के उपदेशों को जीवन में अपनाने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 

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