Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वादशी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-नामकरण, गृहप्रवेश मुहूर्त
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia
Advertiesment

आदि शंकराचार्य कितनी आयु तक जीवित रहे?

हमें फॉलो करें Adi Shankaracharya
, मंगलवार, 25 अप्रैल 2023 (12:23 IST)
Adi Shankaracharya Jayanti: वैशाख शुक्ल पक्ष की पंचमी को आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई जाती है। अंग्रेंजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 25 अप्रैल को यह जयंत मनाई जाएगी। आदि शंकराचार्य के जन्म के सन को लेकर मतभेद कायम है। कुछ विद्वानों मानते हैं कि उनका जन्म 508 ईस्वी पूर्व हुआ था और कुछ मानते हैं कि 788 ईस्वी में हुआ था।
 
आदि शंकराचार्य : शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों की परंपरा और इतिहास के अनुसार उनका जन्म  508 ईस्वी पूर्व हुआ था और उन्होंने 474 ईसा पूर्व अपनी देह को त्याग दिया था। अर्थात वे 32 वर्ष तक ही जीवित रहे थे।
 
अभिनय शंकराचार्य : कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म 788 ईस्वी में हुआ और उनकी मृत्यु 820 ईस्वी में हुई थी। अर्थात वे 32 वर्ष तक ही जीवित रहे थे। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि ये आदि शंकराचार्य नहीं बल्कि अभिनय शंकराचार्य थे।
 
युधिष्ठिरशके 2631 वैशाखशुक्लापंचमी श्री मच्छशंकरावतार:।
तदुन 2663 कार्तिकशुक्लपूर्णिमायां....श्रीमच्छंशंकराभगवत्।
पूज्यपाद....निजदेहेनैव......निजधाम प्रविशन्निति।
अर्थात 2631 युधिष्‍ठिर संवत में वैशाख शुक्ल पंचमी को आदि शंकराचार्य का जन्म हुआ था।
 
आदि शंकराचार्य ने केदारनाथ क्षेत्र में समाधी ले ली थी। उनकी समाधी केदारनाथ मंदिर के पीछे स्थित है। उन्होंने ही केदारनाथ मंदिर का जिर्णोद्धार करवाया था। आदि शंकराचार्य के समय जैन राजा सुधनवा थे। उनके शासन काल में उन्होंने वैदिक धर्म का प्रचार किया। उन्होंने उस काल में जैन आचार्यों को शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित किया। राजा सुधनवा ने बाद में वैदिक धर्म अपना लिया था। राजा सुधनवा का ताम्रपत्र आज उपलब्ध है। यह ताम्रपत्र आदि शंकराचार्य की मृत्यु के एक महीने पहले लिख गया था। शंकराचार्य के सहपाठी चित्तसुखाचार्या थे। उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है बृहतशंकर विजय। हालांकि वह पुस्तक आज उसके मूल रूप में उपलब्ध नहीं हैं लेकिन उसके दो श्लोक है। उस श्लोक में आदि शंकराचार्य के जन्म का उल्लेख मिलता है जिसमें उन्होंने 2631 युधिष्ठिर संवत में आदि शंकराचार्य के जन्म की बात कही है। गुरुरत्न मालिका में उनके देह त्याग का उल्लेख मिलता है। केदारनाथ मंदिर के पीछे उनकी समाधी है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अमलनेर के मंगल ग्रह मंदिर में भक्तों को लगाया जाता है मंगल तिलक