श्री कृष्ण का वृंदावन धाम, 8 रहस्य या चमत्कार, जानिए अनोखी बातें

WD Feature Desk
गुरुवार, 19 मई 2022 (14:31 IST)
ब्रजमंडल में मथुरा, गोकुल, नंदगांव, वृंदावन, बरसाना, गोवर्धन आदि क्षेत्र आते हैं। मथुरा जहां श्रीकृष्‍ण की जन्मभूमि है। वहीं गोकुल उनकी बाललीला की भूमि है। श्रीकृष्‍ण जब थोड़े बड़े हुए तो वृंदावन उनका प्रमुख लीला स्थली बन गया। उन्होंने यहां रास रचा और दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाया। बरसाना श्रीराधा की जन्मभूमि है और उनका परिवार भी वृंदावन में आकर रहने लगा था। आओ जानते हैं वृंदावन धाम के 8 चमत्कार या रहस्य को।
 
 
1. रंग महल : वृंदाव में रंग महल है। प्रतिदिन मंदिर के अंदर स्थित रंगमहल में कृष्ण−राधा का पलंग लगा दिया जाता है और पूरा रंगमहल सजा दिया जाता है तथा राधाजी का श्रृंगार सामान रख कर मंदिर के दरवाजे बन्द कर दिए जाते हैं। जब प्रातः दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान अस्त−व्यस्त मिलता है। मान्यता है कि रात्रि में राधा−कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग करते हैं। हालांकि शाम के बाद यह मंदिर बंद हो जाता है और यह भी कहा जाता है कि अगर यहां कोई छुपकर रासलीला देखता है तो वह अगले दिन पागल हो जाता है।
 
2. अपने आप बंद होता और खुलता मंदिर : वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है।
 
3. वृंदावन और तुलसी का रहस्य : वृंदा तुलसी को कहा जाता है। यहां तुलसी के पौधे अधिक हैं, इसलिए इसे वृंदावन नाम दिया गया। यानी वृंदा (तुलसी) का वन। कहते हैं कि यहां तुलसी के दो पौधे एक साथ लगे हैं। रात के समय जब राधा और कृष्ण रास रचाते हैं तो यही तुलसी के पौधे गोपियां बनकर उनके साथ नाचते हैं। इन तुलसी का एक भी पत्ता यहां से कोई नहीं ले जाता है। जिसने भी गुपचुप यह कार्य किया वह भारी आपदा का शिकार हो जाता है। 
 
4. अजीब हैं पेड़ : मंदिर के परिसर में उगने वाले पेड़ और निधिवन में उगने वाले पेड़ भी अजीब है। यहां के पेड़ की शखाएं नीचे की ओर बढ़ती है। जहां आमतौर पर पेड़ ऊपर की तरफ बढ़ते हैं वहीं निधिवन में मौजूद पेड़ों की ऊंचाई बेहद कम हैं और इनकी शाखाएं इसकी जड़ों की ओर बढ़ती है। यहाँ पेड़ भी आपस में गुथे हुए हैं जो इस जगह को देखने में भी रहस्यमयी बनाती है।
Radha Ashtami Day
5. मंदिर में करते हैं शयन : मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण रोज रात को खुद शयन करने आते हैं। उनके सोने के लिए मंदिर के पुजारी रोज पलंग लगाते हैं और जिस पर साफ-सुधरी गादी एवं बिस्तर के ऊपर चादर बिछाते हैं। लेकिन कहते हैं कि जब मंदिर खुलता है तो उस बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि उसे देखकर लगता है कि यहां कोई सोया था। सबसे आश्‍चर्य की बात यह भी कि यहां प्रतिदिन माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ाया जाता है और जो बच जाता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है, लेकिन सुबह तक वह प्रसाद भी समाप्त हो जाता है। आखिर कौन खा जाता होगा वह प्रसाद? रात में यहां कोई भी नहीं रुकता है। स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा बरसों से होता आ रहा है। कुछ लोग इसे अंधविश्‍वास मानते हैं और कुछ लोग इसे श्रीकृष्‍ण का चमत्कार।
 
6. घरों की खिड़कियां कर देते हैं बंद : यहां के आसपास के अधिकतर घरों में खिड़कियां नहीं हैं और जिनके घरों में हैं वे शाम की आरती के बाद खिड़कियां इस डर से बंद कर देते हैं कि कोई मंदिर की दिशा में देखे नहीं, अन्यथा वह अंधा हो जाएगा।
 
7. नि‍धिवन : कहते हैं कि आज भी समय-समय पर प्रभु वृंदावन के निधिवन और मथुवन में रास भी करते हैं। वहां के मंदिरों में भ्रमण भी करते हैं। कहते हैं कि श्रीकृष्ण वृंदावन के निधिवन में रासलीला करने आते हैं और उनके साथ श्रीराधा सहित उनकी अष्ट सखियां भी आती हैं। लोगों का मानना है कि यहाँ हर रात आरती के बाद श्री कृष्ण, राधा और उनकी गोपियाँ रास रचाते हैं। आस-पास रहने वाले कई लोगों का कहना है कि उन्हें कई बार घुंघरूओं की आवाज़ सुनाई देती है, लेकिन कोई इस रास-लीला को अपनी आँखों से देखने की हिम्मत नहीं रखता, और देख ले तो फिर दुनिया में कुछ और देखने-समझने के लायक नहीं रहता। यानी अंधा हो जाता है। इसलिए अब निधिवन के दरवाज़े शाम 7 बजे बंद कर दिया जाते हैं।
 
8. हरिदास भक्त : वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर से कई कथाएं जुड़ी हुई है। कहते हैं कि श्री हरिदासजी बांके बिहारी के सबसे बड़े भक्त थे जिनकी भक्ति और चमत्कारों की कई कथाएं प्रचलित हैं। भगवान की भक्त में डूबकर हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति और गायन से रिझकर भगवान श्री कृष्ण इनके सामने आ जाते।

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