Shri Satyanarayan Katha : सत्यनारायण व्रत कथा स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड से संकलित की गई है। भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कथा ही सत्यनारायण व्रत कथा है। यह कथा अक्सर पूर्णिमा के दिन, बृहस्पतिवार या किसी पर्व विशेष के दिन परिवार में आयोजित की जाती है। हर घर में सत्यनारायण की कथा का आयोजन होता है। आखिर यह सत्यनारायण की कथा का आयोजन क्यों होता है, क्या है इसका महत्व, मंत्र और पूजा विधि।
क्यों की जाती है सत्यनारायण की कथा : सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं- व्रत-पूजा तथा कथा का श्रवण या पाठ। इस कथा के दो प्रमुख विषय हैं- संकल्प को भूलना और प्रसाद का अपमान करना। इस कथा का तिरस्कार करने या मजाक उड़ाने से व्यक्ति के जीवन में संकटों की शुरुआत हो जाती है। इसीलिए सत्यनारायण की कथा की जाती है।
व्रत और पूजा : विधिवत रूप से व्रत रखने और कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन के सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। सत्यनारायण भगवान की पूजा में खासकर केले के पत्ते, नारियल, पंचफल, पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, तुलसी की आवश्यकता होती। इन्हें प्रसाद के रूप में फल, मिष्ठान और पंजरी अर्पित की जाती है।
मंत्र- 'ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः' का 108 बार जाप करें।
कथा श्रवण का महत्व : सत्य को नारायण के रूप में पूजना और नारायण को ही सत्य मानना यही सत्यनारायण है। सत्य में ही सारा जगत समाया हुआ है बाकी सब माया है। सत्यनारायण की कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन के संकट मिट जाते हैं और वह सुख, समृद्धि एवं संतति को प्राप्त करना है। इस कथा को कहने सुनने से निश्चित ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण कथा कराने से हजारों साल तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। साथ ही सत्यनारायण कथा सुनने को भी सौभाग्य की बात माना गया है।
सत्यनाराण व्रत-पूजन कैसे करें:-
इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु से व्रत विधि बताने का अनुरोध किया। तब भगवान श्रीहरि विष्णु जी बोले- सत्यनारायण व्रत करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए। श्री सत्यनारायण व्रत पूजनकर्ता को स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें। माथे पर तिलक लगाएं और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें।
इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके सत्यनारायण भगवान का पूजन करें। इसके पश्चात् सत्यनारायण व्रत कथा का वाचन अथवा श्रवण करें। संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए।
भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं। सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा के दिन करने का विशेष महत्व है, क्योंकि पूर्णिमा सत्यनारायण का प्रिय दिन है, इस दिन चंद्रमा पूर्ण कलाओं के साथ उदित होता है और पूर्ण चंद्र को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में पूर्णता आती है। पूर्णिमा के चंद्रमा को जल से अर्घ्य देना चाहिए।
घर का वातावरण शुद्ध करके चौकी पर कलश रखकर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या सत्यनारायण की फोटो रख कर पूजन करें। परिवारजनों को एकत्रित करके भजन, कीर्तन, नृत्य गान आदि करें। सबके साथ प्रसाद ग्रहण करें, तदोपरांत चंद्रमा को अर्घ्य दें। यही सत्यनारायण भगवान की कृपा पाने का मृत्यु लोक में सरल उपाय है।