Maa lakshmi ko kaise prasann karen: कहते हैं कि अर्थ बिना सब व्यर्थ है। अर्थ यानी धन। इस युग में धन के बगैर काम नहीं चलता और धन की देवी है विष्णु प्रिया मां लक्ष्मी। यदि माता लक्ष्मी रूठ जाए तो फिर व्यक्ति कंगाल हो जाता है। ऐसे कई कारण हैं जिसके चलते माता लक्ष्मी रूठ जाती है। यदि आप भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो जानिए कि किस तरह माता लक्ष्मी को मनाएं।
मां लक्ष्मी के रूठने के कारण : घर में गंदगी रखना, खुद भी गंदे रहना, घर की महिलाओं का अपमान करना, देवी देवताओं को नहीं पूजना, कड़वे वचन बोलते रहना, देर तक सोना, शराब पीना, दान नहीं करना, कन्या भोज नहीं कराना, अन्न का अपमान करना, भोजन के नियम नहीं मानना, मेहमानों का अपमान करना, किचन वास्तु के अनुसार नहीं होना आदि कई कारणों से माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं। आओ जानते हैं माता को मनाने के सरल उपाय।
1. माता की विधिवत पूजा करें : शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें उन्हें कमल का फूल अर्पित करें। यदि मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर में भी विधिवत पूजा करें और उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाएं। माता लक्ष्मी के साथ ही विष्णु, शालिग्राम और तुलसी की पूजा भी करें।
2. श्रीसूक्त का पाठ : प्रतिदिन घर में श्रीसूक्त का पाठ करें। प्रतिदिन नहीं कर सकते हैं तो प्रति शुक्रवार को इसका विधिवत पाठ करें। शुक्रवार के दिन सुबह उठते ही मां लक्ष्मी को नमन कर, स्नान कर स्वच्छ सफेद या गुलाबी वस्त्र धारण करें। इसके बाद श्रीयंत्र एवं मां लक्ष्मी के चित्र के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें। फिर कमल का पुष्प मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
3. शुक्रवार का व्रत करें : शुक्रवार का व्रत करें और इस दिन खटाई बिल्कुल न खाएं। सूर्यास्त के बाद भोजन कर सकते हैं। विधि विधान से व्रत का उद्यापन भी करें।
4. दान : किसी गरीब को शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र दान करें और भोजन कराएं। इसके अलावा काली चींटियों शक्कर मिलाकर आटा और गाय को हरा चारा खिलाएं।
5. मंत्र : माता लक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥... इस मंत्र की कमलगट्टे की माला से प्रतिदिन जप करने से लाभ होगा।
6. स्नान : नित्य अच्छे से नहाएं। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। नहाते समय सुगन्धित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें।
7. अखंड ज्योत : मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने 11 दिनों तक अखंड ज्योत (तेल का दीपक) प्रज्ज्वलित करें। 11वें दिन 11 कन्या को भोजन कराकर एक सिक्का व मेहंदी दें।
8. माता का भोग : शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर जाकर शंख, कौड़ी, कमल, मखाना, गन्ना, बताशा अर्पित करें। ये सब महालक्ष्मी मां को बहुत प्रिय हैं।
9. पीपल पूजा : शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रहकर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिलाकर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालें। पीपल में श्रीहरि विष्णु एवं मां लक्ष्मी का वास होता है।
10. महालक्ष्मी का व्रत : प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है। साथ ही इसका समापन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत का विधिवत रूप से पालन करें।