Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(षष्ठी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण षष्ठी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-गुरुपुष्य योग (रात्रि 07.29 तक)
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

राधा अष्टमी का धार्मिक महत्व और पूजा विधि

हमें फॉलो करें राधा अष्टमी का धार्मिक महत्व और पूजा विधि
Radha Ashtami Vrat : शनिवार, 23 सितंबर को राधाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। हर साल जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता।‌ वर्ष 2023 में यह पर्व भाद्रपद शुक्ल अष्टमी की तिथि शनिवार को पड़ रही है। 
 
धार्मिक महत्व- राधा अष्टमी के दिन राधा-श्री कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति राधा जी को प्रसन्न कर लेता है, उसे भगवान श्री कृष्ण भी मिल जाते हैं, ऐसी मान्यता है। राधा अष्टमी पर व्रत रखने से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं। 
 
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ, राधा जी भी अष्टमी तिथि को उत्पन्न हुई और रुक्मिणी का जन्म भी अष्टमी तिथि को हुआ है। इसलिए हिंदू धर्म में अष्टमी तिथि को बहुत ही शुभ माना गया है। यह व्रत अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद और परिवार में सुख-समृद्धि और शांति देता है। यह व्रत संतान सुख दिलाने वाला भी माना गया है। 
 
पौराणिक शास्त्रों में राधा रानी को श्री कृष्ण की बाल सहचरी, भगवती शक्ति माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं में राधा जी को लक्ष्मी जी का अवतार भी माना गया है। इसीलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। राधा रानी श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। राधा अष्टमी का दिन बेहद विशेष और लाभकारी माना गया है। इसीलिए आज के दिन उनका पूजा करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है। 
 
आइए जानें पूजन विधि- 
 
• भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
• इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।
• कलश पर तांबे का पात्र रखें।
• अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधा जी की मूर्ति स्थापित करें।  सोने (संभव हो तो) की
• फिर राधा जी का षोडशोपचार से पूजन करें।
• राधा जी के पूजन का समय ठीक मध्याह्न का हो, इस बात का ध्यान रखें।
• पूजन के पश्चात पूरा उपवास करें या एक समय भोजन करें।
• दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिनों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Aaj Ka Rashifal: कैसा रहेगा आज आपका दिन, जानें क्या कहती है ग्रहों की चाल | 23 September 2023