श्रावण माह में महामृत्युंजय का जाप कब और कैसे करें, जानें सही विधि

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Mahamrityunjaya mantra jaap ki vidhi: श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से यह तुरंत ही सिद्ध होकर फलदायी माना गया है, परंतु इस मंत्र को जपने के नियम और सही विधि जाने बगैर मंत्र जप नहीं करना चाहिए। मंत्रानुष्ठान के लिए शास्त्र के विधान का पालन करना परम आवश्यक है, अन्यथा लाभ के बदले हानि की संभावना अधिक रहती है। आओ जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपने से सिद्ध होता है, कब और कैसे जपना चाहिए।
 
महामृत्युंजय मंत्र- 
'ॐ त्र्यम्बकं स्यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥'
इस मंत्र को गायत्री मंत्र के जोड़ने से यह और भी पॉवरफुल हो जाता है। जैसे मंत्र के आगे ॐ हौं जूं स: ॐ भू: भुव: स्व: और अंत में स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ का जोड़ते हैं।
 
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धानात्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् भूर्भुव: स्व: ॐ स: जूं हौं ॐ।'
 
महामृत्युंजय मंत्र की रचना- इसकी रचना ऋषि मृकण्डु के पुत्र मार्कण्डेय ने की थी, जब उन्हें अपनी अल्पायु की बात अपने पिता द्वारा पता चली तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ जी से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए शिव जी आराधना शुरू करके महामृत्युंजय मंत्र की रचना की थी।
 
मंत्र को सिद्ध करने वाले लोग : महर्षि वशिष्ठ, मार्कंडेय, शुक्राचार्य, गुरु द्रोणाचार्य, रावण महामृत्युंजय मंत्र के साधक और प्रयोगकर्ता हुए हैं। 
 
Mahamrityunjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र और जाप विधि- 
महामृत्युंजय मंत्र कब जपें : 
 
महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि जाप कैसे करें :

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