ज्ञानवापी मस्जिद या मंदिर, जानें 10 फैक्ट

Webdunia
सोमवार, 24 जुलाई 2023 (11:19 IST)
Gyanvapi Masjid Survey : वाराणसी जिला न्यायालय के आदेश के बाद सोमवार की सुबह 7 बजे से ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे शुरू हो चुका है। मुस्लिम पक्ष ने इसका बहिष्कार किया है। सर्वे में यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि यह इमारत कितनी पुरानी है और क्या है इसके पीछे की सचाई। आओ जानते हैं कुछ इतिहासकारों के अनुसार 10 फैक्ट।
 
ज्ञानवापी मस्जिद पर क्या कहते हैं शोध (What research says on Gyanvapi Mosque):
1. नंदी : वहां एक विशालकाय नंदी है जिसका मुंह मस्जिद की तरफ है। इससे यह सिद्धि होता है कि शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कहीं स्थित था। वजूखाने में मिले शिवलिंग को मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। मंदिर-मस्जिद के बीच लोहे की ग्रिल लगी हुई है। कहा जा रहा है कि उस पत्थर से नंदी की दूरी 83 फीट है, जो उसी पत्‍थर की ओर देख रहे हैं। कहते हैं कि वजूखाने में 12 फीट 8 इंच का शिवलिंग है। 
 
2. मस्जिद की दीवार : मस्जिद के पीछे की बाहरी दीवार स्पष्ट तौर पर हिन्दू शैली में बनी हुई है। यह दीवार बिल्कुल मंदिर जैसी है। 
 
3. श्रृंगार गौरी और गणेश मूर्ति : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में माता श्रृंगार गौरी और गणेश की मूर्तियों का होना इस बात का सबूत है कि वहां मंदिर था। ज्ञानवापी परिसर में ही मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं।
 
4. पश्चिमी दीवार पर घंटी की आकृतियां: ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर घंटी की आकृतियां बनी हैं।
 
5. कुआं और ज्ञानवापी का अर्थ : मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था। कहते हैं कि कुएं का जल बहुत ही पवित्र है जिसे पीकर व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त हो जाता है। ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान+वापी यानी ज्ञान का तालाब। ज्ञानवापी का जल श्री काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जाता था।
 
6. दावा : कहते हैं कि सर्वे टीम को मस्जिद के तीन कमरों में सर्प, कलश, घंटियां, स्वास्तिक, संस्कृत के श्लोक और स्वान की मूर्तियां मिली हैं। इसके साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि औरंगजेब के दरबारी के दस्तावेज में यहां मंदिर होने का जिक्र है। इसके साथ ही दस्तावेज में मंदिर गिराने का जिक्र होने का दावा किया जा रहा है। ज्ञानवापी मस्जिद का आर्किटेक्चर मिश्रण है। मस्जिद के गुंबद के नीचे मंदिर के स्ट्रक्चर जैसी दीवार नजर आती है और मस्जिद के खंभे भी हिंदू मंदिर शैली में बने हुए हैं। 
7. औरंगजेब ने इसे तोड़कर मस्जिद बनवाई : 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशजों ने वाराणसी सिविल कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा कि मूल मंदिर को 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़कर मस्जिद बनवाई। याचिका में कहा गया कि मस्जिद में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल हुआ इसलिए यह जमीन हिंदू समुदाय को वापस दी जाए। वादी पक्ष का दावा है कि मौजूद ज्ञानवापी आदि विशेश्वर का मंदिर है, जिसका निर्माण 2,050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने करवाया था।
 
8. मंदिर के तोड़े गए हिस्से से बनी मस्जिद : काशी विश्वनाथ मंदिर के तोड़े गये हिस्से में मंदिर के चिन्ह और गर्भगृह में शिवलिंग होने की बात उठती रही है। ब्रिटिश लाइब्रेरी, लन्दन; लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस, वाशिंगटन; जे. पॉल गेट्टी म्यूज़ियम, कैलिफोर्निया, इत्यादि में विदेशी फोटोग्राफरों द्वारा सन् 1859 से 1910 के मध्य लिए गए ज्ञानवापी के अनेक चित्र संगृहीत हैं। एक विदेशी फोटोग्राफर सैमुअल बॉर्न के द्वारा फोटो 1863-1870 के बीच लिया था। इसके कैप्शन में लिखा है 'ज्ञानवापी या ज्ञान का कुआं, बनारस।' तस्वीर में हनुमान जी की मूर्ति, घंटी एवं खंभों की नक्काशी दिखाई दे रही है। 
 
9. विशेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग : ज्ञानवापी को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी विवादित ढांचे की जमीन के नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विशेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। विवादित ढांचे के दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र हैं। हाल ही में मस्जिद के सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि तहखानों में एक शिवलिंग है। तहखाने में स्तंभ में मूर्तियां अंकित है। वहां कई मूर्तियां और कलश के होने की बात भी कही जा रही है।
 
10. हिन्दू प्रतीक : ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारों पर स्वास्तिक, त्रिशूल और ॐ के निशान पाए गए हैं। इसमें मगरमच्छा का शिल्प है। जहां नमाज पढ़ी जाती है वहां पर दीवारों में जगह जगह श्री, ॐ आदि लिखे हुए हैं। स्तंभ अष्टकोण में बने हुए हैं जो कि हिन्दू मंदिरों में पाए जाते हैं। मस्जिद की ओर मुंह किए हुए नंदी इस बाता को दर्शाता है कि उस ओर शिवलिंग है। मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर का होना इसका बाद का सबूत है। ज्ञानवापी मस्जिद का जो मुख्‍य गुंबद है उसके नीचे भी एक गुंबद है दोनों के बीच करीब 6 से 7 फुट की गैप है। नीचे के गुब्बद को गुम्बद नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह शंकुआकार है। ऐसा हिन्दू स्थापत्य शैली में ही बनता है। गुंबद में जो नीचे का भाग है वह मंदिर का मूल स्ट्रक्चर है।

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