Shree Sundarkand

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(अष्टमी तिथि)
  • तिथि- वैशाख शुक्ल अष्टमी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त- श्री बगलामुखी जयंती
  • राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
webdunia

मोक्षदा एकादशी : इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था अनुपम ग्रंथ गीता का उपदेश

Advertiesment
हमें फॉलो करें Gita Jayanti 2018
ब्रह्म पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए यह तिथि गीता जयंती के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसके बारे में कहा गया है कि शुद्धा, विद्धा और नियम आदि का निर्णय यथापूर्व करने के पश्चात मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी को मध्याह्न में एक बार भोजन करके अगले दिन प्रातः स्नानादि करके उपवास रखें। भगवान का पूजन करें और रात्रि में जागरण करके द्वादशी को एक बार भोजन करके पारण करें। 
 
यह एकादशी मोह का क्षय करनेवाली है। इस कारण इसका नाम मोक्षदा रखा गया है। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण मार्गशीर्ष में आने वाली इस मोक्षदा एकादशी के कारण ही कहते हैं मैं महीनों में मार्गशीर्ष का महीना हूं। इसके पीछे मूल भाव यह है कि मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश हुआ था।
 
गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी। मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है।
 
दुर्लभ मनुष्य जीवन हमें केवल भोग विलास के लिए नहीं मिला है, इसका कुछ अंश भक्ति और सेवा में भी लगाना चाहिए। गीता भक्तों के प्रति भगवान द्वारा प्रेम में गाया हुआ गीत है। अध्यात्म और धर्म की शुरुआत सत्य, दया और प्रेम के साथ ही संभव है। ये तीनों गुण होने पर ही धर्म फलेगा और फूलेगा।
 
गीता मंगलमयी जीवन का ग्रंथ है। गीता मरना सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है, यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। 
 
भगवद्‍ गीता के पठन-पाठन श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। अत: हर मनुष्‍य को प्रतिदिन कुछ समय श्रीमद्‍भगवद्गीता के सानिध्य में अवश्य व्यतीत करना चाहिए।

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

18 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी, जानें कैसे करें व्रत, पढ़ें पूजन का शुभ समय एवं मुहूर्त