Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

आज के शुभ मुहूर्त

(कालभैरव अष्टमी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-श्री कालभैरव अष्टमी/ सत्य सांईं जन्म.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

चातुर्मास 2022 : क्यों करते हैं इन 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान

हमें फॉलो करें Chaturmas
, शुक्रवार, 8 जुलाई 2022 (14:36 IST)
Chaturmas: 10 जुलाई 2022 रविवार को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके बाद से ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। चातुर्मास के 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान का महत्व क्यों है? आओ जानते हैं इस संबंध में कुछ खास।
 
 
1. व्रत, तप और साधना के माह : चातुर्मास में आषाढ़ माह के 15 और फिर श्रावण, भाद्रपद, आश्‍विन माह के बाद कार्तिक माह के 15 दिन जुड़कर कुल चार माह का समय पूर्ण होता है। इन चातुर्मास से ही वर्षा ऋतु का प्रारंभ हो जाता है इसलिए भी इन चातुर्मास का महत्व है। इन चाह माह को व्रत, भक्ति, तप और साधना का माह माना जाता है। इन चाह माह में संतजन यात्राएं बंद करके आश्रम, मंदिर या अपने मुख्य स्थान पर रहकर ही व्रत और साधना का पालन करते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है। इन ‍दिनों में साधना तुरंत ही सिद्ध होती है।
 
2. वर्षाऋतु के माह : न चार महीनों में ऋतु परिवर्तन भी होता है। वर्ष में 6 ऋतुएं होती हैं- 1. शीत-शरद, 2. बसंत, 3. हेमंत, 4. ग्रीष्म, 5. वर्षा और 6. शिशिर। ऋति परिवर्तन होने और किटाणु एवं विषाणु बढ़ जाने से भी व्रत, उपवास, नियम और दान का महत्व बढ़ जाता है। क्योंकि इसी ऋतु में गंभीर रोग होने की संभावना रहती है।
webdunia
3. मांगलिक कार्य बंद : इन चार माहों में सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं।  उक्त 4 माह में विवाह संस्कार, जातकर्म संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं। मांगलिक कार्य इसलिए बंद हो जाते हैं क्योंकि सूर्य दक्षिणायन हो जाता है और तब सूर्य का तेज कम हो जाता है।
 
4. ये नियम पालें : इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है। उठने के बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। वैसे साधुओं के नियम कड़े होते हैं। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए। इस माह में मुख्‍य तिथियों पर दान पुण्य करते रहना चाहिए।
 
5. त्याज्य पदार्थ : इस व्रत में दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं किया जाता। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है। उक्त 4 माह में जहां हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ती है वहीं भोजन और जल में बैक्टीरिया की तादाद भी बढ़ जाती है। इसीलिए नियम पालन करना जरूरी है।
 
6. व्रत का करें पालन : उक्त 4 माह को व्रतों का माह इसलिए कहा गया है कि उक्त 4 माह में से प्रथम माह तो सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इस संपूर्ण माह व्यक्ति को व्रत का पालन करना चाहिए। ऐसा नहीं कि सिर्फ सोमवार को ही उपवास किया और बाकी वार खूब खाया। उपवास में भी ऐसे नहीं कि साबूदाने की खिचड़ी खा ली और खूब मजे से दिन बिता लिया। शास्त्रों में जो लिखा है उसी का पालन करना चाहिए। इस संपूर्ण माह फलाहार ही किया जाता है या फिर सिर्फ जल पीकर ही समय गुजारना होता है। उक्त 4 माह में क्या खाएं इसे भी जान लेना चाहिए।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मंगला तेरस के दिन क्या करते हैं, जानिए धार्मिक महत्व