यह कहानी उन लोगों के लिए है जो अपनी जिंदगी में किसी कारणवश किसी भी मोर्चे पर हार गए हैं। कहते हैं कि हारना ही जीत की नई राह को खोल देता है लेकिन कुछ लोग निराश हो जाते हैं और प्रयास करना छोड़ देते हैं जबकि जो लगातार लगा रहता है वह एक न एक दिन जीत जाता है।
स्कॉटलैंड का सम्राट ब्रूस अभी गद्दी पर बैठा भी नहीं था कि दुश्मनों का आक्रमण हो गया। हारते-हारते बचा और उसने पुन: सेना को व्यवस्थित किया, लेकिन फिर जब कई राजाओं ने मिलकर उस पर हमला किया तो राजगद्दी फिर छिन गई।
इसके बाद लगातार चौदह बार उसने राजगद्दी पाने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। उसके सैनिक भी उसके भाग्य को कोसने लगे और उसे छोड़कर जाने लगे।
निराश ब्रूस एक दिन एक खंडहर में बैठा था। उसने देखा एक मकड़ी हवा में उड़कर एक दूसरे पेड़ की टहनी से जोड़कर जाला बनाने का प्रयास कर रही थी। मकड़ी खंडहर में थी, पेड़ बाहर था। जाला हर बार टूट जाता था फिर भी मकड़ी शक्तिसंचय कर पुन: कार्य में लग जाती। बीस बार प्रयास किया, लेकिन हर बार जाला टूट गया। 21वीं बार में वह सफल हो गई।
ब्रूस उछलकर खड़ा हो गया और खुद से बोला- अभी तो सात अवसर मेरे लिए भी बाकी हैं। हिम्मत क्यों हारू? पूरी शक्ति लगाकर सेना के साथ उसने फिर हमला किया और सभी दुश्मनों को उसने परास्त कर डाला एवं पुन: सम्राट बन गया।