Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Motivational Story : पत्ता बना जब घास की पात

हमें फॉलो करें Motivational Story : पत्ता बना जब घास की पात

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 10 फ़रवरी 2020 (17:27 IST)
इस कथा को थोड़ा समझना मुश्किल है लेकिन यदि तुम समझ गए तो जीवन के चक्र को भी समझ जाओगे और अपने भीतर के चक्र को भी समझ जाओगे। ओशो रजनीश ने अपने किसी प्रवचन में इस कथा को सुनाया था।
 
 
‘दि मैडमैन’ बुक में खलील जिब्रान की प्रतीक कथाएं हैं- पतझड़ में एक पत्‍ते से घास की एक पात ने विनम्रता से कहा- तुम नीचे गिरते हुए कितना शोर मचाते हो। मेरे शिशिर स्‍वप्‍नों को बिखेर देते हो।
 
 
पत्‍ता क्रोधित होकर बोला- बदजात, माटी मिली, बेसुरी, नीच कहीं की। तू ऊंची हवाओं में नहीं रहती, तू संगीत की ध्‍वनि को क्‍या जाने। क्या जाने तू ऊंचाइयों को।
 
 
फिर वह पतझड़ का पत्‍ता जमीन पर गिरा और सो गया। जब वसंत आया वह पत्‍ता जाग गया, लेकिन अब वह घास की पात बन चुका था।
 
 
फिर पतझड़ आया और शिशिर की नींद से उसकी पलकें भरी हुई थी, लेकिन ऊपर से हवा के कारण दूसरे पत्‍तों की बौछार हो रही थी। वह घास की पात (जो पहले कभी पत्ता था) बुदबुदाया- उफ, ये पतझड़ के पत्‍ते कितना शोर करते हैं। मेरे शिशिर-स्‍वप्‍नों को बिखेर देते हैं।
 
 
इस प्रतीकात्मक कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ऊंचाइयां छूने वाला एक दिन नीचे जरूर गिरता है। जब व्यक्ति ऊपर जाता है तो उसके साथी ही उसका साथ देते हैं लेकिन उपर जाकर वह अपने साथियों को भूलकर उन्हें क्षुद्र या हिन समझता है। फिर जब वह नीचे गिरता है तो उसका सामना उन्हीं साथियों से होता है जिन्होंने कभी उसकी ऊपर जाने में मदद की थी। दूसरा यह कि आज जो तुम हो कल मैं बन जाऊंगा और कल मैं जो था आज तुम बन जाओगे। इसलिए अहंकार करने वाला यह चक्र कभी समझ नहीं पाएगा।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Valentine day special: इस वेलेंटाइन डे पर इन कविताओं से करे अपने प्रेम की बात