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इस बार होली पर
काव्य-संसार
रंगों से दिल सजा ही लूँ इस बार होली पररूठों को अब मना ही लूँ इस बार होली पर। इक स्नेह रंग घोलूँ आँसू की धार में पानी ज़रा बचा लूँ इस बार होली पर। अपनों की बेवफाई से मन है हुआ उदास इक मस्त फाग गा लूँ इस बार होली पर। रिश्तों में आजकल तो है आ गई खटास मीठा तो कुछ बना ही लूँ इस बार होली पर उम्मीद की कमी से फीकी हुई जो आँखें उनमें उजास ला दूँ इस बार होली पर।