हिन्दी कविता : सूर्य की प्रथम रश्मि

निधि सक्सेना
सूर्य की प्रथम रश्मि
देर तक रही उनींदी
बलपूर्वक जागी
भरी अंगड़ाई
अधमुंदे नैनों से सूर्य को देख
लजाई
नेह से मुस्काई
बादलों के निविड़ में बसी नमी से नहाई

 
सिन्दूरी प्रभा से श्रृंगार किया
फिर मुड़ी सूर्य की ओर..
 
परंतु असाध्य है समय का पहिया
लौटता नहीं
आगे ही धकियाता है..
 
भारी मन सूर्य से विलग हुई
धरती के किसी अंश को सवार कर
वहीं बिखर गई..
 
कि विच्छेद ही आरम्भ था उसका
विभक्ति ही प्रारब्ध है
और विरह ही अंत होगा...
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन्फ्लेमेशन बढ़ने पर शरीर में नजर आते हैं ये लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

आपको डायबिटीज नहीं है लेकिन बढ़ सकता है ब्लड शुगर लेवल?, जानिए कारण, लक्षण और बचाव

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जानिए उनके जीवन की रोचक बातें

भोलेनाथ के हैं भक्त तो अपने बेटे का नामकरण करें महादेव के इन सुन्दर नामों पर, सदा मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

क्यों फ्लाइट से ऑफिस जाती है ये महिला, रोज 600 किमी सफर तय कर बनीं वर्क और लाइफ बैलेंस की अनोखी मिसाल

सभी देखें

नवीनतम

जानिए अल्कोहल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स की सच्चाई, कितने हैं आपकी त्वचा के लिए सेफ

इन फलों के छिलकों को फेंकने के बजाए बनाएं शानदार हेअर टॉनिक, बाल बनेंगे सॉफ्ट और शाइनी

बच्चे कर रहे हैं एग्जाम की तैयारी तो मेमोरी बढ़ाने के लिए खिलाएं ये सुपर फूड

क्या आप भी हैं भूलने की आदत से परेशान, तो हल्दी खाकर बढ़ाएं अपनी याददाश्त, जानिए सेवन का सही तरीका

डायबिटीज और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए खाएं मेथीदाने की खिचड़ी, नोट कर लें आसान रेसिपी

अगला लेख
More