देवी दुर्गा पर कविता : यह सिंदूरी आभा लेकर...

ज्योति जैन
.
यह सिंदूरी आभा लेकर...

अष्टभुजा सी उर्जा पाएं...
 
जग जननी तू...
 
मैं घर की मां...
 
दोनों अपना धर्म निभाएं...
 
बेटी को शक्ति दें माता...
 
बेटों को संस्कार सिखाएं....
 
स्त्री हो या धरती माता...
 
आंचल कोई छू ना पाए..।

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