National Girl Child Day : प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 2008 से हुई थी, क्योंकि 24 जनवरी के दिन ही देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने शपथ ली थी। यही कारण हैं कि इस ऐतिहासिक दिवस का स्मरण करने के लिए ही इस दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है।
आइए यहां जानते हैं बालिका दिवस पर खास कविताएं...
1. बेटी- युग का नया दौर
- आनंद विश्वास
सतयुग, त्रेता, द्वापर बीता, बीता कलयुग कब का,
बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।
बेटी युग में खुशी-खुशी है,
पर मेहनत के साथ बसी है।
शुद्ध कर्म-निष्ठा का संगम,
सबके मन में दिव्य हंसी है।
नई सोच है, नई चेतना, बदला जीवन सबका,
बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।
इस युग में ना परदा-बुरका,
ना तलाक, ना गर्भ-परीक्षण।
बेटा-बेटी सब जन्मेंगे,
सबका होगा पूरा रक्षण।
बेटी की किलकारी सुनने, लालायित मन सबका।
बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।
बेटी भार नहीं इस युग में,
बेटी है आधी आबादी।
बेटा है कुल का दीपक तो,
बेटी है दो कुल की थाती।
बेटी तो है शक्तिस्वरूपा, दिव्यरूप है रब का।
बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।
चौके-चूल्हे वाली बेटी,
युग में कहीं न होगी।
चांद-सितारों से आगे जा,
मंगल पर मंगलमय होगी।
प्रगति पथ पर दौड़ रहा है, प्राणी हर मजहब का।
बेटी युग के नए दौर में, हर्षाया हर तबका।
2. बेटियां- घर की शान
- सुशील कुमार शर्मा
सबसे महान होती हैं भारत की बेटियां,
हम सबकी शान होती हैं भारत की बेटियां।
जिस दिन से घर में आती हैं बेटियां,
माता-पिता की इज्जत बन जाती हैं बेटियां।
भारत के विकास की डोर थामे हैं बेटियां,
भारत को बुलंदियों पर पहुंचातीं बेटियां।
सीता, सावित्री, दुर्गा की प्रतिरूप हैं बेटियां,
लक्ष्मी, सरस्वती, राधा का रूप हैं बेटियां।
हर युग में भारत को नई दिशा देती हैं बेटियां,
त्याग और बलिदान से भरपूर हैं बेटियां।
रण में चंडी दुर्गा, लक्ष्मी, अहिल्या होती हैं बेटियां,
आसमान में कल्पना, सुनीता-सी तैरती हैं बेटियां।
खेल में उषा, मल्लेश्वरी, सिन्धु-सी मचलती हैं बेटियां,
बछेंद्री, सानिया, मिताली-सी उछलती हैं बेटियां।
विजया, इन्द्रा, सुषमा-सी चमकती हैं बेटियां,
प्रशासन में किरण बेदी-सी कड़कती हैं बेटियां।
मैत्रेयी, गार्गी-सी विद्वान होती हैं बेटियां,
महादेवी, अमृता-सी साहित्यिक होती हैं बेटियां।
हर क्षेत्र में लक्ष्य को भेदती हैं बेटियां,
जीवन की चुनौती को जीतती हैं बेटियां।
भारत का सम्मान होती हैं बेटियां,
मां-बाप का अभिमान होती हैं बेटियां।
मरने से नहीं डरती हैं भारत की बेटियां,
पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं भारत की बेटियां।
3. बेटी की उड़ान मेरा अभिमान
- प्रीति दुबे
मान मिला सम्मान मिला
धन्य हुआ नारी जीवन जब......
आंचल रूपी सुखद सरोवर
पुत्री रत्न सम कमल खिला
मन की आशाओं को उड़ने
विकसित विहसित आकाश मिला
प्रीति से प्रीति जन्मी दानी होने का सौभाग्य मिला...
पंख हुए पुलकित हर्षाए अभिलाषाओं ने ली अँगड़ाई
आंगन की फुलवारी में मेरे एक सोन चिरैया आई
गहरी उथली सोच सीख संग जीवन नीति उसे सिखाई
पाँखों में भर साहस शक्ति आसमान की राह दिखाई
सपनों को साकार करे संग रक्षण स्वाभिमान सिखाया
स्त्री हो स्त्रीत्व प्रेम का भावों में उसके अलख़ जगाया
हो अगर अन्याय कभी तो अन्याय द्रोह का पाठ पढ़ाया
तोड़कर सारे बंधन और ज़ंजीरों को तोड़कर
नज़र उठे ग़र ग़लत तो उसको शमशीरों से चीरकर
वहशी और दरिंदों को जब धूल चटा तू जाएगी
मेरी लाडो तू नारी हो नारी की ढाल बन जाएगी
हर बेटी मां, मां है हर बेटी इक दूजे को संबल देतीं
शक्ति और समर्पण की हर रीति अपनाएगी
बेटी हो तू इस दुनिया में बेटी का मान बढ़ाएगी
बिटिया तेरी हर उड़ान से मुझको वो सम्मान मिले
मुझसे तुझको पहचान मिली अब तू मेरी पहचान बने
तुझपे मेरा आंचल फैला अब मुझपे तेरा छत्र तने
बेटी अब मां से नहीं मां बेटी से पहचानी जाएगी
संस्कारों की थाम डोर जब क्षितिज छोर तक जाएगी
सचमुच मेरी बेटी तू मेरा अभिमान कहलाएगी।
4. मेरी नन्ही परी
- पुष्पा परजिया
हर एक लम्हा आए याद उस दिन का
जब आई मेरी नन्ही परी
सुंदर, नाजुक, कोमल-कोमल
मानो कोई खिली थी नन्ही-सी कली
देख-देख मैं मन ही मन खुश होती
लहराती मेरे मन की बगिया
एक अनूठे आनंद से भर जाती मैं
और सहज मुस्कुराती मेरी अंखियां
मातृत्व का पद देकर तुमने
मुझको बेटी पूर्ण किया
अबोध, नि:स्वार्थ, निष्पाप सहजता बस
इसका ही तुझमें मैंने दर्शन किया।
अपने प्यार को तूने
हम सब पर बरसा कर
धन्य किया जीवन मेरा
श्रद्धा-सुमन समर्पित कर