हिन्दी कविता : मां दुर्गा अवतरणी...

सुशील कुमार शर्मा
मन हरणी घनाक्षरी
 
8887 पदांत लघु गुरु
 
मां मस्तक का चंदन,
मां फूलों की है बगिया।
मां धरा-सी विस्तारित,
मां ही मेरी दुनिया।
 
मां चांद जैसी शीतल,
मां मखमल-सी नर्म।
मां सृष्टि का सरोकार,
सबसे बड़ा धर्म।
 
सीता-सी सहनशील,
मां दुर्गा अवतरणी।
माता के श्रीचरणों में,
मेरी है वैतरणी।
 

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

C-Section के बाद नहीं कम हो रही बैली, इन ट्रिक्स को अपनाने से मिलेगा फायदा

राइस वॉटर से बने इस कोरियन हेयर केयर मास्क से मिलेंगे घर पर ही सलून जैसे सॉफ्ट और सिल्की बाल

क्या बच्‍चों का माथा गर्म रहना है सामान्य बात या ये है चिंता का विषय?

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

सर्दियों में खुद को बनाए रखें फिट और तंदुरुस्त, पिएं ये प्राकृतिक हर्बल टी

सभी देखें

नवीनतम

प्रवासी कविता : कवयित्री की जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने

Winter Special Diet : वजन घटाने के लिए इन 6 चीजों को जरूर अपने खाने में तुरंत शामिल करें, बनेगा परफेक्ट डाइट प्लान

प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो अपनी डाइट लिस्ट से आज ही बाहर करें ये चीजें

भारतीय समाजसेवक ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि, जानें विशेष जानकारी

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

अगला लेख
More