हिन्दी कविता : सुलगती हुई सिगरेट के समान जीवन

Webdunia
-डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
 
मैंने कभी सुना था
जीवन एक सुलगती हुई
सिगरेट के समान है।
 
काफी सोचने के बाद मैंने पाया
जिंदगी सिगरेट जैसे ही
समस्याओं से जूझकर
सुलगती रही है
अंत में सिगरेट के जैसे ही
जलकर खाक हो जाती है।
 
इसी सोच में सोचते-सोचते
मेरी सोच और गहरी होती चली गई
और मैंने सोचा कि
शहर में सिगरेट का चलन ज्यादा है
जबकि गांवों में बीड़ी का
अत: शहर के लोगों की जिंदगी
जलती हुई सिगरेट के जैसी
और गांव के लोगों की जिंदगी
बीड़ी के समान होती है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रोजाना हॉट चॉकलेट पीने से क्या होता है सेहत पर असर

सर्दियों में सेहत और स्वाद का खजाना है मक्के की राब, पीने से मिलते हैं ये फायदे, जानें रेसिपी

सर्दियों में रोजाना पिएं ये इम्यूनिटी बूस्टर चाय, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

ज्यादा मूंगफली खाना क्या लिवर के लिए है नुकसानदायक, जानिए सच्चाई

क्या सच में खाली पेट कार्डियो से जल्दी कम होती है चर्बी? क्या है इस दावे की सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

76वां गणतंत्र दिवस : कर्तव्य पथ की परेड से लेकर बीटिंग रिट्रीट तक, जानिए भारतीय गणतंत्र की 26 अनोखी बातें

Republic Day Parade 2025: वंदे मातरम् और जन गण मन में क्या है अंतर?

जयंती विशेष: सुभाष चंद्र बोस के 8 अनसुने प्रेरक विचार, बदल देंगे आपका जीवन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, जानें महत्व और पराक्रम दिवस के बारे में

Makeup Tricks : सर्दियों में ड्राई हो गए हैं लिपस्टिक और आईलाइनर? इन टिप्स से 2 मिनट में करें ठीक

अगला लेख
More