कबीर जयंती विशेष : यह वो जमीं है जहां नाज़ि‍ल कबीर होते हैं

सेहबा जाफ़री
हर एक लफ्ज जो अपने लहू से धोते हैं 
हर एक हर्फ को खुशबू में फिर भिगोते हैं 
 
न हो मुश्क तो मुअत्तर(भीगा) है ये पसीने से 
इन्हीं के दम से जमाने जमाने होते हैं 
 
इन्हीं के नाम से जिंदा है ताबे-हिन्दुस्तां
इन्हीं के नाम नए सूरज उजाले बोते हैं 
 
जो लब खुलें तो पलट दें ये कायनात का नक्शा 
जो उठ गए तो नक्शे पे मीर होते हैं 
 
यहां कहां  जरूरत नए पयम्बर की 
यह वो जमीं है जहां नाज़ि‍ल कबीर होते हैं... 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

जीवन की ऊर्जा का मूल प्रवाह है आहार

Easy Feetcare at Home : एल्युमिनियम फॉयल को पैरों पर लपेटने का ये नुस्खा आपको चौंका देगा

जानिए नवजोत सिद्धू के पत्नी के कैंसर फ्री होने वाले दावे पर क्या बोले डाक्टर्स और एक्सपर्ट

इतना चटपटा चुटकुला आपने कभी नहीं पढ़ा होगा: इरादे बुलंद होने चाहिए

अगला लेख
More