कविता : मैं नहीं शब्द शिल्पी

डॉ मधु त्रिवेदी
मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी 
जो शब्दों की ग्रंथमाला गूथूं
लिख साहित्य की विविध विधाएं
गद्यकार कहानीकार मुक्ततकार


 
और अनेकानेक कार कहलाऊं 
मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी 
जो देख निकलते भास्कर को
ऊषा सुंदरी का पनघट से जल
भर लेकर आना नजर आए
 
या उसके पायल की झंकार 
झन-झन करती-सी नजर आए
मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी 
जो देख निकलते चंदा को
 
सूत कातती वृद्धा नजर आए
या आलिंगन आतुर महबूब की
प्रिया महबूबा नजर आए
मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी 
 
जो देख स्नाता नायिका को
नख शिख सौंदर्य की बारीकियां
या देह संगुठन उन्नत माथ या
नटी-कटि सी नजर आए
 
मैं नही कोई शब्द शिल्पी 
मुझे तो बेबस मां की वो कातर
नर्म आंखें नजर आती हैं
जो अपाहिज बच्चे को ले
 
लगाती डॉक्टर के चक्कर लगाती
मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी 
मुझे बेबस किसान की वो लाचारी 
गरीबी दीनता नजर आती है
 
जो रख सब कुछ गिरवी
बस कर लेता है आत्महत्या
मैं नहीं कोई शब्द शिल्पी 
मुझे तो बस वे मुश्किलें 
 
मुसीबतें नजर आती है जो
दो वक्त की रोटी को लेकर
और सिर ऊपर छत की है
मैं नही कोई शब्द शिल्पी 
 
मन तो मेरा भी करता है
लिख नित प्रेम पातियां प्रेम
का संसार बसा लूं या
लिख गीत गीतकार बन जाऊं। 
 
 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

दीपावली पर बनाएं ये 5 खास मिठाइयां

10 लाइन नरक चतुर्दशी पर निबंध हिंदी में

पुष्य नक्षत्र पर पत्नी को दें ये उपहार, लक्ष्मी माता की कृपा से कभी नहीं होगी धन की कमी

दीपावली पर 10 लाइन कैसे लिखें? Essay on Diwali in Hindi

क्या प्यूबिक एरिया में शेविंग क्रीम से बढ़ती है डार्कनेस

सभी देखें

नवीनतम

पेट्रोलियम जेली के फायदे : सिर्फ ड्राय स्किन ही नहीं, जानें इसके छुपे हुए कई ब्यूटी सीक्रेट्स

एंटी एजिंग मेकअप से दिवाली पर दिखें 10 साल छोटी, जानिए ये असरदार ब्यूटी सीक्रेट्स

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

कमला हैरिस को वोट देने से हिचकिचा रहे भारतीय अमेरिकी नागरिक, जानें क्यों

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

अगला लेख
More