कविता : नंगी जिंदा लाशें

जयति जैन 'नूतन'
था भूख का शिकार वो,
कुपोषण का शिकार बता रहे थे।
आते-जाते सभी उसकी,
हालत पर शोक जता रहे थे।
 
मैंने कहा...
'भूख और कुपोषण तो संबंधी हैं,
यहां दोनों साथ-साथ बढ़ रहे थे।'
पेट खाली था पर,
हड्डियों के आकार दिख रहे थे।
 
लोगों की नजरों में,
मरियल कीड़े घिसट रहे थे।
चीख-चीखकर सांचे,
भूख की भाषा बोल रहे थे।
 
चलने-फिरने से लाचार,
गरीबी के राज खोल रहे थे।
चार दिन पहले खाई रोटी,
दो जून आटे को तरस रहे थे।
 
नंगी जिंदा लाशें पड़ी,
और मां-बाप बिलख रहे थे।
सभी देखते जाते 'नूतन',
शाने-हिन्द भूख से मर रहे थे।
 
-लेखिका जयति जैन 'नूतन'
युवा लेखिका, सामाजिक चिंतक।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सेहत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं जामुन, जानें 10 फायदे

बारिश के मौसम में ऐसे करें अपने पालतू की देखभाल, जानें ये 7 टिप्स

बारिश में ऐसे करें फल और सब्जियों की सफाई, जानें ये 10 उपाय

पैरों में खुजली और इन्फेक्शन से हैं परेशान तो आजमाएं ये 7 घरेलू उपाय

बारिश में अब नहीं होगा डेंगू मलेरिया का खतरा, मच्छर भगाने के 10 उपाय जानें

सभी देखें

नवीनतम

Yug purush ashram: इंदौर में बेरहमी के इस नए कारनामे से तो ईश्‍वर भी रो दिया होगा

पूजा अहिरवार ने अपने 30वें जन्मदिन पर पद्मश्री जनक दीदी से प्रेरित होकर 130 पौधे लगाए

प्रधानमंत्री मोदी मॉस्को के बाद ऑस्ट्रिया जाएंगे

सिर्फ 2 सेकंड में करें सड़े अंडे की पहचान, जानें ये आसान ट्रिक्स

अ(A) से शुरू होने वाले ये सुंदर नाम हैं आपके बेटे के नामकरण के लिए बहुत ही कल्याणकारी

अगला लेख
More