हिन्दी कविता : फुरसत नहीं मुझे

सुशील कुमार शर्मा
फुरसत नहीं है अब,
करना देश निर्माण है।
हर पल देश विकास में,
देना मुझे प्रमाण है।
 
सबसे पहले परिवर्तन,
खुद में मुझको लाना है
कर्तव्यों के निर्वहन का,
खुद को पाठ पढ़ाना है।
 
मेरे शहर की सूखी नदियां,
मुझको आज बुलाती हैं।
कटे हुए सूखे जंगल में,
अब गोरैया न गाती है।
 
फुरसत नहीं है एक पल की,
मुझको अब विश्राम कहां।
अपने शहर के विकास का,
मुझको करना काम यहां।
 
हर झोपड़पट्टी के आंगन में,
शिक्षा का दीप जलाना है।
दलित और शोषित जन को,
उनके अधिकार दिलाना है।
 
हर नौजवान को काम मिले,
हर नारी यहां सुरक्षित हो।
जीवन की हर सुख-सुविधा,
वृद्धों को आरक्षित हों।
 
भारत विश्वगुरु बन जाए,
तब मैं आराम करूंगा।
हर जन को रोटी मिल जाए,
तब मैं विश्राम करूंगा।
 
तब तक रुकना नहीं है मुझको,
मीलों रास्ता तय करना है।
भारत के नवनिर्माण में मुझको,
अपना रोल अदा करना है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

जीवन की ऊर्जा का मूल प्रवाह है आहार

Easy Feetcare at Home : एल्युमिनियम फॉयल को पैरों पर लपेटने का ये नुस्खा आपको चौंका देगा

जानिए नवजोत सिद्धू के पत्नी के कैंसर फ्री होने वाले दावे पर क्या बोले डाक्टर्स और एक्सपर्ट

इतना चटपटा चुटकुला आपने कभी नहीं पढ़ा होगा: इरादे बुलंद होने चाहिए

अगला लेख
More