Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

दोहा बन गए दीप-13

हमें फॉलो करें दोहा बन गए दीप-13
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

परमात्मा का अंश है, अविनाशी आनंद,
अंत समय उनमें मिले, जीव ब्रह्म सानंद।
 
परेशान मत कीजिए, जो हैं बहुत गरीब,
सेवा उनकी कीजिए, जाकर बहुत करीब।
 
प्रेम किनारा बन गया, प्रीत बनी है आस,
जबसे तुमसे हैं मिले, दूर हुआ वनवास।
 
डूबा है आकंठ क्यों, पाप गठरिया लाद,
प्रभु को मन में धार कर, जीवन कर आबाद।
 
लेखन सामयिक उचित, लिखना मन के भाव,
जीवन की अनुभूतियां, अंदर रिसते घाव।
 
मन से मन का प्रेम ही, हो जीवन का लक्ष्य,
अनुष्ठान सबसे बड़ा, मानवता का पक्ष।
 
हरियाली से भी हरा, मानव मन का प्रेम,
पेड़ काटकर आदमी, हरता खुद का क्षेम।
 
पेड़ काटकर मत करो, लकड़ी का व्यापार,
वृक्षारोपण से मिले, खुशियों का संसार।
 
राष्ट्र एकता में निहित, छात्र वर्ग है खास,
भारत के उत्थान में, युवा वर्ग से आस।
 
बात करें अधिकार की, कर्तव्यों की भूल,
गर भूले कर्तव्य को, जीवन बनता शूल।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शिवरात्रि पर क्यों करते हैं उपवास और जागरण