कविता : अभी बहुत छोटी हूं मां

निधि सक्सेना
मैं अभी बहुत छोटी हूं मां
अभी से न अस्तित्व पे चुनरी ओढ़ाओ
अभी उड़ने दो मुक्त
खोलो ये केश
कर आने दो पूरा कबड्डी का खेल..
अभी से न बांधो ये बोर ये बेंदा
वजनी बहुत है ये शीशफूल
अभी बेतहाशा भागूं नदी के किनारे 
चली आओ तुम भी
कि लहरों पर छोटी सी नैया चला लें...
 
ये नाक में नथ
बहुत चुभती है मां
सुकोमल है काया
अभी देर है मां 
कच्ची हैं पैरों की ये आहटें
थोड़ा ठहर जाओ
कि मुरझा न जाऊं पक्व होने से पहले...
 
ये हसली बहुत सुंदर है मां
मगर अभी भाता है स्कूल का तमगा
संभालो इसे अभी
अभी गले में फंदा लागे
अभी थोड़ा पढ़ लूं 
कि मुश्किलों को बूझने के सबक सीख लूं...
 
अभी से न सजाओ गहनों से मुझको
स्त्री हूं अभी से न ये जतलाओ
इंसान हूं ये अहसास तो कर लूं
सर उठाए रखने का प्रयास तो कर लूं...
 
अभी अपने आंगन में थोड़ा चहकने तो दो...
कि अपना हिस्सा समझ
अभी बस अंक में समेटो...
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन्फ्लेमेशन बढ़ने पर शरीर में नजर आते हैं ये लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

आपको डायबिटीज नहीं है लेकिन बढ़ सकता है ब्लड शुगर लेवल?, जानिए कारण, लक्षण और बचाव

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर जानिए उनके जीवन की रोचक बातें

भोलेनाथ के हैं भक्त तो अपने बेटे का नामकरण करें महादेव के इन सुन्दर नामों पर, सदा मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

क्यों फ्लाइट से ऑफिस जाती है ये महिला, रोज 600 किमी सफर तय कर बनीं वर्क और लाइफ बैलेंस की अनोखी मिसाल

सभी देखें

नवीनतम

जानिए अल्कोहल वाले स्किन केयर प्रोडक्ट्स की सच्चाई, कितने हैं आपकी त्वचा के लिए सेफ

इन फलों के छिलकों को फेंकने के बजाए बनाएं शानदार हेअर टॉनिक, बाल बनेंगे सॉफ्ट और शाइनी

बच्चे कर रहे हैं एग्जाम की तैयारी तो मेमोरी बढ़ाने के लिए खिलाएं ये सुपर फूड

क्या आप भी हैं भूलने की आदत से परेशान, तो हल्दी खाकर बढ़ाएं अपनी याददाश्त, जानिए सेवन का सही तरीका

डायबिटीज और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए खाएं मेथीदाने की खिचड़ी, नोट कर लें आसान रेसिपी

अगला लेख
More