अटल जी की कविता : क्या खोया, क्या पाया जग में

Webdunia
अपने ही मन से कुछ बोलें
 
क्या खोया, क्या पाया जग में,
मिलते और बिछड़ते मग में,
मुझे किसी से नहीं शिकायत,
यद्यपि छला गया पग-पग में,
एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें।
 
पृथिवी लाखों वर्ष पुरानी,
जीवन एक अनन्त कहानी
पर तन की अपनी सीमाएं
यद्यपि सौ शरदों की वाणी,
इतना काफी है अंतिम दस्तक पर खुद दरवाजा खोलें।
 
जन्म-मरण का अविरत फेरा,
जीवन बंजारों का डेरा,
आज यहां, कल कहां कूच है,
कौन जानता, किधर सवेरा,
अंधियारा आकाश असीमित, प्राणों के पंखों को तौलें।
अपने ही मन से कुछ बोलें!

ALSO READ: अटल जी को बहुत स्नेह रहा अपने पप्पी से, लिखी थीं उन पर कविता, बबली, लौली कुत्ते दो, कुत्ते नहीं खिलौने दो

ALSO READ: जब मौत से सामना हुआ अटल जी का तो उनकी कलम ने यह रचा

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रात में Wi Fi राउटर बंद करने से क्या होता है? क्या हेल्थ पर पड़ता है कोई असर?

चाणक्य की इन बातों से जानें जीने की कला, अगर सीख ली तो कदमों में होगी दुनिया

क्या महिलाओं को भी होता है स्वप्नदोष, क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

1 मिनट से लेकर 1 घंटे तक चलने के हैरान कर देने वाले फायदे, जानिए हर मिनट के साथ आपके शरीर में क्या बदलता है?

ऑपरेशन सिंदूर की कर्नल सोफिया कुरैशी का रानी लक्ष्मीबाई से क्या है कनेक्शन

सभी देखें

नवीनतम

सोते समय म्यूजिक सुनना हो सकता है बेहद खतरनाक, जानिए इससे होने वाले 7 बड़े नुकसान

चाय कॉफी नहीं, रिफ्रेशिंग फील करने के लिए रोज सुबह करें ये 8 काम

क्या आपको भी चीजें याद नहीं रहतीं? हो सकता है ब्रेन फॉग, जानिए इलाज

टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ को हुआ लिवर ट्यूमर, जानिए कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

नहीं कराना चाहते हैं हेअर ट्रांसप्लांट तो लेजर थेरेपी और पीआरपी भी हैं विकल्प, जानिए प्रक्रिया, खर्च और जरूरी सावधानियां

अगला लेख