आपातकाल के दौरान स्वाधीनता दिवस पर यह कविता रची थी अटल जी ने...

Webdunia
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता : पुन: चमकेगा दिनकर
 
आजादी का दिन मना,
नई गुलामी बीच;
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच;
मन-आंगन में कीच;
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अं‍धियारे छाए;
कह कैदी कविराय
न अपना छोटा जी कर;
चीर निशा का वक्ष
पुन: चमकेगा दिनकर।
 
*आपातकाल के दौरान स्वाधीनता दिवस पर रचित।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

C-Section के बाद नहीं कम हो रही बैली, इन ट्रिक्स को अपनाने से मिलेगा फायदा

राइस वॉटर से बने इस कोरियन हेयर केयर मास्क से मिलेंगे घर पर ही सलून जैसे सॉफ्ट और सिल्की बाल

क्या बच्‍चों का माथा गर्म रहना है सामान्य बात या ये है चिंता का विषय?

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

सर्दियों में खुद को बनाए रखें फिट और तंदुरुस्त, पिएं ये प्राकृतिक हर्बल टी

सभी देखें

नवीनतम

वेजाइना की इचिंग से हैं परेशान, इन 3 उपायों से मिनटों में पाएं आराम

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सर्दियों में कपड़ों पर लग जाते हैं रोएं? तो जानिए कपड़ों से लिंट हटाने के ये 7 आसान और असरदार तरीके

सिद्धू की पत्नी के कैंसर के देसी इलाज के दावे को लेकर टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने लोगों से की अपील

Health Alert : जानिए ये 10 कार्ब्स जो सेहत को नुकसान नहीं, फायदा पहुंचाते हैं

अगला लेख
More