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कविता और कहानी के रिश्तों पर परिचर्चा

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10 फरवरी को पटना पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन एक और परिचर्चा कार्यक्रम दोपहर 3:30 से 4:20 तक आयोजित करने जा रहा है। कविता और कहानी के आपसी रिश्तों और उनकी बारीकियों पर होने वाली कविता की काह पर कहानी विषयक इस परिचर्चा में कथाकार उदय प्रकाश, हृषिकेश सुलभ और वंदना राग बातचीत करेंगी।

 यूं तो कविता और कहानी साहित्य की मुख्य और प्राणवंत विधाएं हैं। आज इन दोनों ही विधाओं में प्रचुर लेखन किया जा रहा है। एक तरह से हम कह सकते हैं कि आज कविता और कहानी के जितने पाठक नहीं हैं उनसे अधिक कवि और कहानीकार उपस्थित हैं। उक्त परिचर्चा में रचना जगत और पाठक वर्ग के बीच के इस दिलचस्प समीकरण को भी जानने और समझने का मौका मिलेगा।
  
कविता की काह पर कहानी विषय पर होने वाली चर्चा में हिन्दी के यशस्वी कथाकार उदय प्रकाश बतौर मुखी वक्ता शामिल होंगे। उदय प्रकाश उन लेखकों में हैं जिन्हें पढ़ते हुए यह एहसास गहरा होता जाता है वे हिन्दी कथा के इतिहास और भूगोल को बहुत तेजी से बदल रहे हैं। हिन्दी कथा में उन्होंने नायक और नायिका के वर्ग और परिवेश के चित्रण की अब तक की चली आ रही परिपाटी में क्रान्तिकारी फेर-बदल किया है। टाइम और स्पेस का एक गहरा बोध उनके साहित्य को एक ही साथ कालजयी और समकालीन बनाता है। कथा के अलावा कविता और इतर लेखन में भी उनकी जन पक्षधरता को बखूबी लक्षित किया जा सकता है। उदय प्रकाश अभिजात के बड़बोलेपन और छद्म यथार्थ को खंडित करते हुए उसकी वीभत्स विडंबनाओं से हमारा साक्षात्कार कराते हैं। हिन्दी के पाठक आज भी बेसब्री से उनकी कृतियों की प्रतीक्षा करते हैं।
 
इस परिचर्चा में उदय प्रकाश के साथ बातचीत में हिस्सा लेंगे हमारे समय के संवेदनशील रचनाकार ऋषिकेश सुलभ। वरिष्ठ लेखक हृषिकेश सुलभ कहानियों के अलावा नाट्यलेखन में भी सक्रिय हैं। अब तक अनेक कृतियों की रचना कर चुके हैं, जो हमारे साहित्यिक-सांस्कृतिक में लंबे समय तक चर्चित रही हैं। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के बी.एन. कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की है और फिलहाल पटना में ही रहकर लेखन कार्य कर रहे हैं।
  
कविता और कहानी के इस रिश्ते पर उदय प्रकाश और ऋषिकेश सुलभ के साथ बातचीत करेंगी वंदना राग। वंदना राग ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में उच्च शिक्षा पूरी की है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समकालीन स्त्री-लेखन में अपनी एक मुकम्मल पहचान बनाई है और उसकी सीमाओं का निरंतर विस्तार किया है। स्त्री की दुनिया का एक नया अंदाज और नया तेवर उनकी कृतियों में बखूबी ही परिलक्षित किया जा सकता है।   
वाणी प्रकाशन ने विगत 55 वर्षों से हिन्दी प्रकाशन के क्षेत्र में कई प्रतिमान स्थापित किए हैं। वाणी प्रकाशन को फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स द्वारा ‘डिस्टिंग्विश्ड पब्लिशर अवार्ड’ से नवाजा गया है। वाणी प्रकाशन अब तक 6000 से अधिक पुस्तकें और 2500 से अधिक लेखकों को प्रकाशित कर चुका है। हिन्दी के अलावा भारतीय और विश्व साहित्य की श्रेष्ठ रचनाओं का प्रकाशन कर इसने हिन्दी जगत में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। नोबेल पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार और अनेक लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त लेखक वाणी प्रकाशन की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा हैं। हाल के वर्षों में वाणी प्रकाशन ने अंग्रेजी में भी महत्त्वपूर्ण शोधपरक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। 
 
भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने अपने गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फाउंडेशन के तहत हिन्दी के विकास के लिए पहली बार ‘हिन्दी महोत्सव’ और अनुवाद के लिए ‘डिस्टिंग्विश्ड ट्रांस्लेटर अवार्ड’ की भी नींव रखी है। इस वर्ष यह अवार्ड प्रख्यात कवयित्री और विदुषी डॉ. अनामिका को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान प्रदान किया गया है। इस बार 3-4 मार्च को ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर किया जा रहा है। 
 
पटना पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन अपने पाठकों के लिए 75 नई पुस्तकें लेकर उपस्थित हुआ है। साहित्य की विविध विधाओं के अलावा समाज विज्ञान, इतिहास, मीडिया और एथनोग्राफी पर प्रकाशित यह पुस्तकें हर तरह के पाठकों के लिए ज्ञानके साथ-साथ एक नये अनुभव संसार का झरोखा खोलती हैं। वाणी प्रकाशन का लोगो ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा है, जिसे मशहूर कलाकार स्व. मकबूल फिदा हुसैन ने बनाया है। उम्मीद है कि कविता की काह पर कहानी पर होने वाली इस परिचर्चा में अधिक से अधिक पाठक, पुस्तक प्रेमी तथा बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे और पूरे आयोजन को यादगार बनाएंगे।

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