-संतोष कुमार
रजा फाउंडेशन और राजकमल प्रकाशन 'रजा पुस्तक माला' का प्रकाशन हिन्दी में कर रहा है। यह पुस्तक माला प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रजा की स्मृति में रजा फाउंडेशन के सहयोग से प्रकाशित की जा रही है। यह हिन्दी प्रकाशन और साहित्य जगत की अनूठी घटना है।
पुस्तक माला के पहले सेट में 24 पुस्तकें एक साथ प्रकाशित की जा रही हैं जिनमें ग़ालिब, महात्मा गांधी, मुक्तिबोध से लेकर सभ्यता-समीक्षा, कईं बिसरा दी गई पुस्तकों का पुनर्प्रकाशन, युवा कवियों के पहले कविता-संग्रह, बुद्धिजीवियों से संवाद, बांग्ला-मराठी से अनुवाद, कला-आलोचना आदि शामिल हैं।
कलाओं में भारतीय आधुनिकता के एक मूर्धन्य सैयद हैदर रजा एक अथक और अनोखे चित्रकार तो थे ही उनकी अन्य कलाओं में भी गहरी दिलचस्पी थी। रजा की एक चिंता यह भी थी कि हिन्दी में कई विषयों में अच्छी पुस्तकों की कमी है। विशेषतः कलाओं और विचार आदि को लेकर।
2016 में साढ़े 94वें वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु के बाद रजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी कवि-आलोचक-कलाविद अशोक वाजपेयी ने रजा की इच्छा का सम्मान करते हुए हिन्दी में कुछ नए किस्म की पुस्तकें प्रकाशित करने की पहल 'रजा पुस्तक माला' के रूप की है।
यह पुस्तक माला युवा कवि-सम्पादक पीयूष दईया के सम्पादन में सम्पन्न की जा रही है। पुस्तकों के पहले सैट का लोकार्पण 8 जनवरी 2018 को शाम 4 बजे, सेमिनार हॉल, विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में एक आत्मीय आयोजन में हुआ। डॉ. सादिक, मृत्युंजय और पीयूष दईया ने प्रकाशित तीन पुस्तकों से पाठ किया। ओम थानवी, अपूर्वानन्द, सोपान जोशी और राजीव रंजन गिरि ने ‘आज गांधी’ पर परिचर्चा की।