अ से अभिव्यक्ति की आजादी कहें या कहें अ से अदम्य पराक्रम (इच्छाशक्ति)... अ से उनके अद्भुत संपादकीय याद आ जाते हैं और अ से ही असरदार कलम का जादू... अ से उनकी ओजस्वी वाणी को नमन करें या अ से उनके अजातशत्रु व्यक्तित्व का गुणगान करें.... अहंकार से कोसों दूर, गरिमा से भरपूर आप थे आदरणीय अभय छजलानीजी...।
वे पत्रकार थे, अखबार मालिक भी रहे, संपादक भी.... लेकिन प्रखर पत्रकार, सौम्य संपादक और आदर्श अखबार मालिक से इतर भी उनकी अनोखी पहचान बनी रही... और यह पहचान ही इंदौर शहर की गरिमामयी शान रही, मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता का सम्मान बनी... भयरहित लेखन का बीजारोपण करने वाले वे पत्रकारिता के एक ऐसे वटवृक्ष थे जिनकी सघन छांव तले नन्हे पौधों ने रचनात्मक रस लिया और फिर आगे चलकर अपनी ऊर्वर जमीन को खुद तैयार किया... उनके हाथों से तैयार रोपे आज देशभर की धरा पर पुष्पित और पल्लवित हो रहे हैं... पत्रकारिता में जितने वे सजग रहे, व्यवहार में उतने ही सहज, सौम्य और सरल थे... यह विलक्षण संयोग ही उन्हें विशिष्ट बनाता रहा है।
अतीत के गौरव को समेटे वे वर्तमान की धरा पर खड़े ऐसे शिखर पुरुष थे जिन्होंने चमकदार भविष्य को भरपूर नजर से देखा और उस पर भरोसा करते हुए भाषायी पत्रकारिता का भव्य महल खड़ा किया...। वरिष्ठ पत्रकार अभयजी ने 'नईदुनिया' अखबार के माध्यम से सुरुचिपूर्ण साज-सज्जा, विचार व संस्कारों से सराबोर पत्रकारिता के जो प्रतिमान गढ़े, वे अप्रतिम हैं...। पत्रकारिता के उनके रचे उच्चतम मानक आज की पत्रकारिता स्पर्श कर सके, इसमें संदेह ही है।
उनके नाम के अक्षरों से उनकी विशेषताओं को तलाशा जाए तो वे अनुभव, अनुभूति और अभिव्यक्ति का सम्मिलन थे। भद्र, भलाई के हिमायती साथ में भयरहित व भ्रमरहित पत्रकारिता के जनक...। अपने संपादन काल में अभयजी ने युवा सोच के साथ यत्नपूर्वक सामग्री संयोजित कर करोड़ों पाठकों के यकीन को समेटा, जिसकी यशगंध से नईदुनिया को चाहने वालों के मन आज भी सुवासित हैं...।
विश्वास, संस्कृति, परंपरा और विचार की जो शस्य श्यामला जमीन उन्होंने तैयार की, उसकी फसल से पोषित होकर आज कई पत्रकार और लेखक सफलता के परचम लहरा रहे हैं।
पत्रकारीय मूल्य और भाषिक संस्कारों की समृद्ध परंपरा के वाहक अभयजी ने अचंभित करने वाले अग्रलेख लिखकर पत्रकारिता को नई पहचान दी, साथ ही समाज की उत्कृष्ट सेवा भी की।
इंदौर में बैठे अभयजी की जगमगाती आभा से वैश्विक स्तर की पत्रकारिता आलोकित हुई है, अगर हम यह कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी...।
अभयजी की यशयात्रा अक्षुण्ण रहेगी.... श्रद्धांजलि!