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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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मालदीव यात्रा के दौरान साहित्य-संस्कृति पर चर्चा...

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दो सप्ताह का मालदीव प्रवास कई दृष्टियों से सार्थक, उपयोगी और आनंददायक रहा। यहां के समुद्री-सौन्दर्य, जिसके लिए मालदीव प्रसिद्ध है, को करीब से देखने का अवसर तो मिला ही, यहां के जनजीवन और जीवनशैली से भी परिचित होने का मौका मिला। 

विशेष प्रसन्नता की बात यह रही कि यहां के  भारतीय सांस्कृतिक केंद्र और धीविही भाषा अकादमी (Dhivehi Language Academy) जो राजधानी माले में स्थित हैं, को देखने और वहां के अधिकारियों से भाषा-साहित्य-संस्कृति से जुड़े अहम मुद्दों पर सार्थक चर्चा करने का सुअवसर भी मिला। 
 
साहित्य-संस्कृति के सरोकारों पर दोनों जगह मेरे व्याख्यान हुए जिन्हें सुनने के लिए यहां के स्थानीय लेखकों, संस्कृतिकर्मियों और प्रबुद्ध वर्ग ने खासी रूचि दिखाई। पहला व्याख्यान यहां की इंडियन एम्बेसी के सौजन्य से भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (ICC) में 13 नवम्बर को सायं आठ बजे हुआ और दूसरा व्याख्यान 14 नवम्बर को यहां की राज्य भाषा अकादमी (Dhivehi Language Academy) में दिन में हुआ। पहले कार्यक्रम की अध्यक्षता मालदीव में भारतीय राजदूत माननीय अखिलेश मिश्र जी, जो स्वयं हिंदी-संस्कृत के अच्छे ज्ञाता हैं, ने की और दूसरे कार्यक्रम में धीविही भाषा अकादमी (Dhivehi Language Academy) के चेयरमैन ने सभापति की भूमिका निभाई। 
 
पहले व्याख्यान में साहित्य और साहित्यकार की वर्तमान समय में भूमिका, कश्मीर की साहित्यिक पृष्ठभूमि और उसका सौन्दर्य तथा दूसरे व्याख्यान में अनुवादकला का वर्तमान युग में महत्व और उसकी उपयोगिता आदि विषयों पर मैं ने अपने विचार रखे। दोनों व्याख्यानों को खूब पसंद किया गया। 
 
- डॉ. शिबन कृष्ण रैणा
 

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