Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

हमें फॉलो करें Franz Kafka
webdunia

नवीन रांगियाल

फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है— लेकिन मुझे ‘काफ़्का’ ही पूरा लगता है.

काफ़्का जैसे एक संपूर्ण उच्‍चारण. इसके बाद कहने के लिए कुछ रहा नहीं.

जब मैं कभी- कभी फ्रांत्स काफ़्का के नाम को पुकारता हूं तो इस नाम की ध्‍वनि इस दुनिया की संपूर्णता-सी सुनाई देती है.

फ्रांत्स काफ़्का का नाम एक खाली जगह है... जैसे एक Void

जब मैं कभी कुछ लिखना चाहता हूं तो सिर्फ फ्रांत्स काफ़्का लिख देता हूं— शेष पूरा पन्‍ना खाली छोड़ देता हूं.

जब मैं फ्रांत्स काफ़्का की तस्‍वीर को देखता हूं तो वो आंखें फाड़कर ऐसे देखते हुए नजर आता है, जैसे नहीं लिखने के लिए मुझे घूर रहा हो.

कभी-कभी लगता है कि फ्रांत्स काफ़्का लिखने के लिए हर वक्‍त अपनी आंखें खुली रखता होगा.

फ्रांत्स काफ़्का की आंखें कभी बंद हुईं ही नहीं.

कई बार रातों में फ्रांत्स काफ़्का के बारे में सोचते हुए मेरी नींद उचट जाती है.

मैं जब फ्रांत्स काफ़्का की कोई किताब देखता हूं तो ‘मेटमॉर्फसिस’ का कीड़ा रेंगते हुए नजर आता है.

कभी जब मैं अपनी आंखें बंद करता हूं तो मुझे फ्रांत्स काफ़्का की वो बात याद आ जाती है जब उसने कहा था— उसे लिखने के लिए मरे हुए आदमी का एकांत चाहिए.

फ्रांत्स काफ़्का का नाम कहीं लिखा हुआ नजर आता है तो आसपास एक अंधेरा सा छा जाता है.

रोज सुबह उठकर मैं नौकरी पर जाता हूं तो मुझे लगता है कि मैं ग्रेगर साम्सा (मेटमॉर्फसिस का पात्र) हूं और इस दुनिया में एक कीड़े में तब्‍दील हो गया हूं.

फ्रांत्स काफ़्का के कान मुझे गांधी की याद दिलाते हैं.

फ्रांत्स काफ़्का के होंठ मेरी प्रेमिका के होठों की तरह हैं, मैं उन्‍हें बार बार देखता हूं और चूमना चाहता हूं.

जब मैं फ्रांत्स काफ़्का की किताबें पढता हूं तो लगता है दुनिया काफ़्का की मौत के बाद शुरू हुई है.

जब मैं यह सब लिखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं धीरे-धीरे मर रहा हूं

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य