धर्म के प्रति अटल बिहारी वाजपेयी की आस्था कम नहीं रही। देशभक्ति को भी उन्होंने अपना धर्म माना। वे हमारे ग्रंथों को उन्होंने प्रेरणा के रूप में देखा है और हमारी परंपराओं को सम्मान के रूप में। जीवनदर्शन भी सदैव उनके विचारों में नजर आया। हालांकि वे धर्म की कट्टरता में विश्वास नहीं रखते लेकिन उन्हें अपने हिन्दू होने पर हमेशा ही गर्व रहा -
1 हिन्दू परम्परा में गर्व महसूस करता हूं लेकिन मुझे भारतीय परम्परा में और ज्यादा गर्व है। -अटल बिहारी वाजपेयी
2 ‘रामचरितमानस’ तो मेरी प्रेरणा का स्रोत रहा है। जीवन की समग्रता का जो वर्णन गोस्वामी तुलसीदास ने किया है, वैसा विश्व-साहित्य में नहीं हुआ है -अटल बिहारी वाजपेयी
3 परमात्मा एक ही है, लेकिन उसकी प्राप्ति के अनेकानेक मार्ग हैं। -अटल बिहारी वाजपेयी
4 देश एक मंदिर है, हम पुजारी हैं। राष्ट्रदेव की पूजा में हमें अपने को समर्पित कर देना चाहिए। -अटल बिहारी वाजपेयी
5 अहिंसा की भावना उसी में होती है, जिसकी उरात्मा में सत्य बैठा होता है, जो समभाव से सभी को देखता है। - अटल बिहारी वाजपेयी
6 सभ्यता कलेवर है, संस्कृति उसका अन्तरंग। सभ्यता सूल होती है, संस्कृति सूक्ष्म । सभ्यता समय के साथ बदलती है, किंतु संस्कृति अधिक स्थायी होती है। -अटल बिहारी वाजपेयी