Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

योग दिवस पर एक शादीशुदा की कलम से निकली यह चुटीली रचना

हमें फॉलो करें योग दिवस पर एक शादीशुदा की कलम से निकली यह चुटीली रचना
योग दिवस को मैं कुछ इस तरह से मना रहा हूं,
रात उसके पैर दबाए थे, अब पोंछा लगा रहा हूं।
 
धो रहा हूं बर्तन और बना रहा हूं चपाती,
मेरे ख्याल से यही होती है कपालभाति।
 
एक हाथ से पैसे देकर, दूजे हाथ में सामान ला रहा हूं मैं,
और इस प्रक्रिया को अनुलोम-विलोम बता रहा हूं मैं।
 
सुबह से ही मैं घर के सारे काम कर रहा हूं,
बस इसी तरह से यारों प्राणायाम कर रहा हूं।
 
मेरी सारी गलतियों की जालिम ऐसी सजा देती हैं,
योगों का महायोग अर्थात मुर्गा बना देती है।
 
हे मोदी, हे रामदेव अगर आप गृहस्थी बसाते,
तो हम योग दिवस नहीं, पत्नी दिवस मनाते।

साभार : सोशल मीडिया
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पिता जी ने भी मदद की है : यह है सबसे बढ़िया चुटकुला