साल 2020 के लिए कविता : वापस मत आना
सन् 2020 वापस मत आना
एक साल ऐसा भी -
ना अचारों की खुशबू,
ना बर्फ की चुस्की,
ना गन्ने का रस,
ना मटके की कुल्फी
एक साल ऐसा भी..
ना शादियों के कार्ड,
ना लिफाफों पर नाम,
ना तीये का उठावना,
ना दसवें की बैठक
एक साल ऐसा भी..
ना साड़ी की खरीदारी,
ना मेकअप का सामान,
ना जूतों की फरमाइश,
ना गहनों की लिस्ट
एक साल ऐसा भी..
ना ट्रेन की टिकट,
ना बस का किराया,
ना फ्लाइट की बुकिंग,
ना टैक्सी का भाड़ा
एक साल ऐसा भी..
ना नानी का घर,
ना मामा की मस्ती,
ना मामी का प्यार,
ना नाना का दुलार
एक साल ऐसा भी..
ना पिता का आंगन,
ना मां का स्वाद,
ना भाभी की मनुहार,
ना भाई का उल्लास
एक साल ऐसा भी..
ना मंदिर की घंटी,
ना पूजा की थाली,
ना भक्तों की कतार,
ना भगवान का प्रसाद
एक साल ऐसा भी..
सदा रहेगा
इस साल का मलाल,
जीवन में फिर
कभी न आए ऐसा साल...
अगला लेख