ये लौकी भगवान ने क्यों बनाई ?? : लाजवाब है ये चुटकुला

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इतनी भी बुरी नहीं लौकी 
 
ये लौकी भगवान ने क्यों बनाई ??
 
इसकी दो वजह हो सकती है ! 
 
पहली बात तो ये कि वो यह चाहते हों कि औरतों के पास कम से कम एक आध तो ऐसा मारक हथियार तो हो ही जिससे वो आदमियो को परास्त कर सके !
 
औरत लौकी बनाये बिना रह नहीं सकती ! 
 
लौकी नाराजगी जताने का सबसे कारगर तरीका है औरतों का !
थाली में लौकी देखते ही बेवकूफ से बेवकूफ आदमी ये समझ जाता है कि उससे कोई बड़ी चूक हो चुकी है !
 
आदमी लौकी की वजह से ही दबता है अपनी बीबी से ! कायदे से रहता है ! आदमी को तमीज सिखाने का क्रेडिट यदि किसी को दिया जा सकता है तो वो लौकी ही है !
 
मेरी यह समझ में यह बात कभी आई नहीं कि लौकी से कैसे निपटें ! लौकी आती है थाली में तो थाली थरथराने लगती है ! रोटियाँ मायूस हो कर किसी कोने मे सिमट जाती हैं ! 
जीभ लटपटा जाती है !
 
आप बेचारगी से अचार, चटनी, पापड़ या दही के भरोसे हो जाते हैं ! 
 
हर कौर के बाद पानी का गिलास तलाशते हैं आप ! आपको लगने लगता है कि आपकी तबियत खराब है, आप ICU में भर्ती हैं ! 
 
बंदा डिप्रेशन मे चला जाता है ! दुनिया वीरान-वीरान सी महसूस होती है, कुछ अच्छा होने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रह जाती ! 
 
मन गिर जाता है ! लगता है अकेले पड़ गये हैं ! दरअसल लौकी, लौकी नहीं होती, वो आपकी पत्नी की इज्जत का सवाल होती है ! 
 
आप पूरी हिम्मत करके लौकी का एक-एक निवाला गले से नीचे उतारते है !
पत्नी सामने बैठी होती है ! 
जानना चाहती है लौकी कैसी बनी ! 
आप पत्नी का मन रखने के लिये झूठ बोलना चाहते हैं पर लौकी झूठ बोलने नहीं देती ! 
लौकी की खासियत है ये ! 
 
इसे खाते हुए आदमी हरीशचन्द्र हो जाता है ! आप चाहते हुए भी लौकी की तारीफ नहीं कर पाते ! मेरे ख्याल से बंदे को शादी करने के पहले यह पता लगाने की कोशिश जरूर करनी चाहिए कि उसकी होने वाली पत्नी लौकी से प्यार तो नही करती !
 
वैसे ऐसी लड़की मिल भी जाए तो इसकी कोई गारंटी नही कि शादी होने के बाद उसका झुकाव लौकी की तरफ नही हो जाएगा...
 
दुनिया मे ऐसी लड़की अब तक पैदा ही नहीं हुई है जो पत्नी की पदवी हासिल कर लेने के बाद पति को सबक सिखाने के लिए लौकी का सहारा लेने से परहेज करे ! 
 
जब तक जहर इजाद नहीं हुआ था तब तक आदमी ने दुश्मनों को मारने के लिए निश्चित ही लौकी का ही इस्तेमाल किया होगा ! लम्बे समय से टिके मेहमान को दरवाजा दिखाने के लिये लौकी से बेहतर और कोई तरीका नहीं...
 
थाली में हर दूसरे वक्त लगातार लौकी के दर्शन कर ढीठ से ढीठ मेहमान भी समझ जाता है कि अब चला-चली का वक्त आ गया है ! पर एक तारीफ तो करनी ही पड़ेगी इस लौकी की ! 
न्यायप्रिय होती है ये ! सब को एक-सा दुख देती है!
 
स्वाभिमानी भी होती है ये ! 
अपने मूल स्वभाव और कर्तव्यों से कभी नही डिगती ! लाख मसाले, तेल डाल दें आप इसमें! ये पट्ठी टस से मस नही होती ! आप मर जाएं सर पटक कर , पर लौकी हमेशा लौकी ही बनी रहती है !
 
एक बात और जो मेरी समझ में कभी नहीं आई कि लौकी खाने से ही कोलेस्ट्रॉल क्यों कम होता है !ये भी भगवान का मजाक ही है आदमी के साथ ! ये काम गुलाब जामुन और काजू कतली को भी सौंप सकता था वो !
पर ऐसा किया नहीं उन्होंने !
 
 जानबूझ कर लौकी को ही सौंपी ये जिम्मेदारी...  
 
इतिश्री लौकियाये कथा. ... 
 

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