एक बस के एक पुरुष यात्री पर एक महिला यात्री को थप्पड़ मारने का मुक़दमा चल रहा था..
जज : "तुमने इसे थप्पड़ क्यों मारा?"
यात्री : जज साहब यह महिला मेरे बगल में बैठी थी.. कंडक्टर टिकट के लिए आया तो इसने बड़ा पर्स खोला, उसमे से मंझला पर्स निकाला, बड़ा पर्स बंद किया, मंझला पर्स खोला, उसमें से छोटा पर्स निकाला, मंझला पर्स बंद किया, इतने में कंडक्टर आगे निकल गया.. फिर इसने मंझला पर्स खोला, उसमें छोटा पर्स रखा, मंझला पर्स बंद किया, बड़ा पर्स खोला, उसमे मंझला पर्स रखा, बड़ा पर्स बंद किया.. इतने में कंडक्टर फिर आ गया.. महिला ने बड़ा पर्स खोला..
जज (खीजकर) : अबे मेरा हाथ उठ जाएगा, ये क्या बड़ा पर्स, मंझला पर्स, छोटा पर्स लगा रखा है....
यात्री : देखा जज साहब आप तो सिर्फ सुन रहे हैं, मैं तो देख रहा था......