एक कनपुरिया छात्र से गुरु जी ने पूछिन कि बउआ,
तनुक रामायण का सारांश बताओ।
छात्र ने बहुत सीधा, सरल और संक्षिप्त विवरण कुछ इस तरह दिया...
एक रहें राम
बहुतै काबिल,
बाप की मान लीहिन और मेहरिया लेय के चल दीहिन जंगल मा
उनके भाई लक्ष्मण अउरु काबिल
वोहौ बड़े वाले होनहार।
वहौ साथ हुई गे।
हुआं जंगल मा सूपनखा आई सेट्टिंग के खातिन तो गुरू ऊकर नाक काट लीहिन।
सूपनखा का भाई रावण एकदम टाॅप का गुंडा रहै ।
ऊ राम का हलके मा लै लिहिस
और
सीता अम्मा का किडनैप कर लिहिस।
लेकिन रामो बड़े वाले हीरो रहें,
भेज दीन्ह हनुमान का
कि जाओ अउर रावण की बैंड बजा के आवौ।
हनुमान जी तो अउरो बड़े 'परम' रहैं।
लंका मे लफद्दर कर दीहिन
और गुरु ऐसा 'टेलर' दीहिन कि रावण का सारा भौकाल घुुस गवा।
फिर का रहै
रावण बाद में विद फैमिली ढेर कर दीन गे।
और विभीषण फ्री में राजा बाबू हुई गे न
अस रामायण सुन गुरु जी बेहोश हुई गे
अबहैं तक होश नाहीं आवा है