अरविंद केजरीवाल पर हिन्दी में निबंध

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अरविंद केजरीवाल Indian politician Arvind Kejriwalदिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। भारतीय राजनीतिज्ञ, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल का राजनीति में आना बड़ा चर्चा का विषय बना। अपने बयानों को लेकर अक्सर बड़ी सुर्खियों में रहते हैं। आम आदमी पार्टी को खड़ा करने में केजरीवाल की अहम भूमिका रही है। अरविंद केजरीवाल अपने पहले कार्यकाल के दौरान 28 दिसम्बर 2013 से 14 फ़रवरी 2014 तक इस पद पर रहे। मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल भारतीय नौकरशाही का भी हिस्सा रहे हैं। केजरीवाल दिल्ली में इनकम टैक्स विभाग में संयुक्त आयुक्त रह चुके हैं। 
 
जन्म/जीवनी
अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ। उन्होंने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बाद में, 1992 में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया। शीघ्र ही, उन्होंने महसूस किया कि सरकार में बहुप्रचलित भ्रष्टाचार के कारण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। अपनी अधिकारिक स्थिति पर रहते हुए ही उन्होंने, भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू कर दी। Indian politician Arvind Kejriwal अरविंद ने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
परिचय 
इससे पहले वो एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं और सरकारी कामकाज़ में अधिक पारदर्शिता लाने के लिये संघर्ष किया। भारत में सूचना अधिकार अर्थात सूचना कानून (सूका) के आन्दोलन को जमीनी स्तर पर सक्रिय बनाने, सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने और सबसे गरीब नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये सशक्त बनाने हेतु उन्हें वर्ष 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने आम आदमी पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की।
 
जनवरी 2000 में, उन्होंने काम से विश्राम ले लिया और दिल्ली आधारित एक नागरिक आन्दोलन-परिवर्तन की स्थापना की, जो एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। इसके बाद, फरवरी 2006 में, उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। 2011 में अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे और किरन बेदी के साथ मिलकर इंडिया अगेंस्ट करप्शन का गठन किया था। जिसने जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन किया था। उन्होंने सूचना अधिकार अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया, जो देखते ही देखते ही एक मूक सामाजिक आन्दोलन बन गया, दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को 2001 में पारित किया गया और अंत में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संसद ने 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारित कर दिया।

इसके बाद, जुलाई 2006 में, उन्होंने पूरे भारत में आरटीआई के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए अभियान शुरू किया। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अरविन्द ने अपने संस्थान के माध्यम से आरटीआई पुरस्कार की शुरुआत की। सूचना का अधिकार गरीब लोगों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही आम जनता और पेशेवर लोगों के लिए भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। अरविंद सूचना के अधिकार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को अपनी सरकार से प्रश्न पूछने की प्रेरणा देते रहे हैं। वे लोगों को प्रशासन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करते हैं। 
राजनीति में प्रवेश
2 अक्टूबर 2012 को Indian politician Arvind Kejriwalअरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी। उन्होंने बाकायदा गांधी टोपी पहनी, जिसे अब "अन्ना टोपी" भी कहा जाने लगा है। उन्होंने टोपी पर लिखवाया, "मैं आम आदमी हूं।" उन्होंने 2 अक्टूबर 2012  को ही अपने भावी राजनीतिक दल का एजेंडा भी जारी किया।
 
आम आदमी पार्टी का गठन
अरविंद केजरीवाल ने 26 नवम्बर 2012, भारतीय संविधान अधिनियम की 63 वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली स्थित स्थानीय जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी के गठन की आधिकारिक घोषणा की। 
 
राजनीतिक सफर
2013 के दिल्ली विधान सभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा जहां उनकी सीधी टक्कर लगातार 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही श्रीमती शीला दीक्षित से थी। नई दिल्ली विधानसभा सीट से तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25864 मतों से हराया। अरविंद केजरीवाल को कुल 44269 मत प्राप्त हुए जबकि उनके मुक़ाबले शीला दीक्षित को केवल 18405 मत प्राप्त हुए। 
 
नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में धमाकेदार प्रवेश किया। आम आदमी पार्टी ने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में खलबली मचा दी। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
 
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में फरवरी 2015 के चुनावों में उनकी पार्टी ने 70 में से रिकॉर्ड 67 सीटें जीत कर भारी बहुमत हासिल किया। 14 फरवरी 2015 को वे दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए।
 
मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटाई फिर बिजली की दरों में 50% की कटौती की घोषणा कर दी।
 
उपसंहार 
आईआईटी खड़गपुर से ग्रेजुएट Indian politician Arvind Kejriwal अरविंद केजरीवाल दिल्ली के 7वें मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनकी पार्टी का मुख्य स्वर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना है। परंपरागत राजनीति से अलग उनकी सादा और ईमानदार छवि लोगों को आकर्षित करती है। उन पर अन्ना हजारे के आंदोलन का इस्तेमाल करने के आरोप भी लगते रहे हैं। उनके कुछ साथी बीच में ही साथ छोड़कर चले गए। वास्तव में शुरुआती दौर में उनके प्रति जो दीवानगी बनी थी वह अब नहीं है इसके बावजूद एक बड़ा तबका आज भी उन पर भरोसा करता है।

पद पर रहते हुए कई बड़े और हटकर फैसले उन्होंने लिए हैं और अक्सर अपने बयानों से खलबली मचा देते हैं। अरविंद केजरीवाल आज की राजनीति का एक आम चेहरा है जो यह प्रेरणा देता है कि अगर सच में मजबूत इरादे हो तो जनता साथ देती है और राजनीतिक पृष्ठभूमि न होने पर भी मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचा देती है। 
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