Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

हिन्दी दिवस पर व्यंग्य : हिंदी हैं हम वतन हैं

हमें फॉलो करें हिन्दी दिवस पर व्यंग्य :  हिंदी हैं हम वतन हैं
webdunia

आरिफा एविस

हिन्दी दिवस हो और स्कूल कालेज इसका जश्न ना मनाएं, ऐसा कैसे हो सकता है? जश्न का मजा भी वही ले सकता है जिसके पास उसका अभाव हो। अब रोज-रोज हिन्दी का प्रयोग करने वाला जश्न तो मनाने से रहा ! हुआ यूं पिछले दिनों कालेज में एक कार्यक्रम हुआ। यूं तो कभी ऐसे कार्यक्रमों में जाते नहीं, जाना हुआ तो मूड खराब हो गया। सबने हिन्दी की खूब वाहवाही की, करते क्यों ना, इसी के लिए तो बुलाया था...! दो चार ने हिन्दी की दुर्दशा पर आंसू भी बहाए, ऐसा लग रहा था जैसे सैयाद ही शिकार पर रो रहा हो!
 
कालेज में हिन्दी दिवस पर प्रबुद्धजनों का यह जमावड़ा देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे पूरा विश्व हिन्दीमय हो गया है। ऐसा लग रहा था जैसे सारी समस्या बस हिन्दी को ही है। जो कभी हिन्दी में बात नहीं करते वे हिन्दी की समस्या पर बात कर रहे थे। सबने अपने भाषण दिए और खा-पीकर चले गए।
अगले दिन सुबह के एक अखबार में उसी कालेज का इश्तहार था - "हिन्दी के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति। अंग्रेजी माध्यम को वरीयता दी जाएगी।''
 
अरे हां कालेज की दीवार पर कुछ नारे लिखे हुए थे - 
'हिन्दी का सम्मान देश का सम्मान।'
'हम अपनी राष्ट्र भाषा के बिना गूंगे के समान हैं।'
'हिन्दी लिखो, हिन्दी पढ़ो, हिन्दी बोलो।'
 
वैसे भी ऐसे नारे गढ़ने और पढ़ने में ही अच्छे लगते हैं, असल में अमल तो कुछ और किया जाता है। मैं अंदर ही अंदर बहुत दुखी थी। मैंने मम्मी को उस आयोजन की पूरी कहानी सुनाई। 'उस दिन हमें सभी गर्व करना सिखा रहे थे। मैं आपको बताती हूं हमें हिन्दी पर कैसे गर्व होता है। स्कूल से कालेज गए तो वहां पहले दिन  काउंसलिंग अंग्रेजी में हुई तो बड़ा गर्व महसूस किया। कालेज में आधी सखियां तो इसलिए दूर हो गई कि मैं हिन्दी भाषी थी। वे हीन भावना से ग्रसित ना हों, उन्होंने हमसे बात करना छोड़ दी। गर्व के चक्कर कई लोग खुशी-खुशी आत्महत्या तक कर लेते हैं। हिन्दी भाषी होने का नतीजा यह हुआ कि सहेलियां आठ से चार ही रह गईं। अरे वे हमसे दोस्ती रखती तो उनको गैर हिन्दीभाषी होने का तमगा मिलता!  कॉलेज हिन्दी मीडियम, पर सारे काम हिन्दी में हों यह जरूरी नहीं। कालेज के नाम से लेकर नोटिस बोर्ड, कैंटीन तक हिन्दी विहीन है।
 
और क्या बताऊं अम्मा!  कालेज पूरा किया तो नौकरी की तलाश शुरू की। नौकरी मिलती कहां आजकल, जॉब मिलती है। पर चाहिए वहां भी अंग्रेजी ही! एक रिशेप्शनिस्ट की नौकरी तक के लिए अंग्रेजी की माला पहननी पड़ती है। जहां भी गए भैया अंग्रेजी में इंटरव्यू दो, ऐसा लग रहा था जैसे मुझे नहीं मेरी भाषा को काम मिलेगा...। एक दो जगह तो महज इसलिए नहीं रखा गया कि हमें अंग्रेजी नहीं आती थी, काम बेशक हिन्दी करना था लेकिन अंग्रेजी की जरूरत थी तो थी।
यहां हम अपनी बात हिन्दी में ही नहीं रख पा रहे, लोग अंग्रेजी की मांग कर रहे हैं ये हाल है अपने हिन्दी भाषियों का। और कहते हैं - 'अपनी मातृभाषा बोलो और गर्व के साथ रहो।'
 
'तो क्या खेती किसानी भी अंग्रेजी में ही कराएंगे ?' मम्मी बोली।
'क्या मम्मी? आप भी! खेती किसानी से अंग्रेजी हिन्दी का क्या मतलब?'
'मम्मी बोली ! 'तो क्या हिन्दी विमर्श से किसानों, मजदूरों, बेरोजगारी, बच्चों की मौत, बलात्कार से छुटकारा मिल जाएगा?”
मैंने बस इतना कहा - 'हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तान हमारा...।

देखें वीडियो 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्राद्ध करने में समर्थ नहीं हैं तो करें आमान्न दान, जानिए क्या है यह