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हिंदी दिवस पर नई कविता : हिंदी भाषा जन गण मन है

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

, शनिवार, 14 सितम्बर 2024 (16:47 IST)
हिंदी तन है हिंदी मन है,
हिंदी ही जीवन का धन है।
हिंदी भारत के कण-कण में,
हिंदी ही सम्पूर्ण वतन है।
 
नहीं तेलगू पंजाबी में,
अरे, यहां कोई बंधन है।
न ही हिंदी गुजराती में,
रही यहां कोई अनबन है।
 
उर्दू महके, कन्नड़ चहके,
सारा भारत देश चमन है।
कहीं मराठी, कहीं बांगला,
सबका मन निर्मल चन्दन हैं।
 
भाषाएं तो अलग-अलग हैं,
किन्तु सभी का एक चलन है।
भले कुंडली अलग-अलग हो,
पर सबका ही एक लग्न है।
 
भारत की हर भाषा को ज्यों,
हिंदी का हर रोज नमन है।
और सभी भाषाएं बहनें,
हिंदी सबकी बड़ी बहन है|
 
धरती पर सब लहराती हैं,
हिंदी बहती संग पवन है|
हमें ध्यान हर दम रखना है,
हिंदी भाषा जन गण मन है।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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