जब हिन्दी पहली बार 1995 में इंटरनेट पर आई तो उसका स्वरूप वैसा नहीं था जैसा आज है। उस समय अपनी बात को अपनी भाषा में लिखने के लिए तकनीकी दुविधा थी। ऐसे में रोमन लिपि सखी बनी और रोमन हिन्दी भाषा को इंटरनेट के मंच पर ले आई।
रोमन लिपि में भाषा के भाव तो आ गए लेकिन सुगंध नहीं आ सकी। भारत के तकनीकी मानस ने इमेज फाइल के सहारे हिन्दी को स्पष्ट रूप से सामने लाना आरंभ किया। इमेज फाइलों के रूप में हिन्दी की उपस्थिति बढ़ने लगी।
कभी छोटे-छोटे नारे, तो कभी मधुर-मोहक संदेश, कभी कोई विज्ञापन तो कभी सिर्फ नाम और पते के रूप में कभी गुदगुदाते चुटकुले तो कभी रोमांटिक शायरी। इसे इंटरनेट पर हिन्दी का शैशवकाल भी कहा जा सकता है। बाद में डायनामिक फॉन्ट के जरिए हिन्दी के कदमों में गति आई।