यूनिकोड के आगमन के बाद किसी भी खोज इंजन के माध्यम हिन्दी की सामग्री को ढूँढना आज अत्यंत आसान है लेकिन कुछ वर्षों पहले यह काम अत्यंत जटिल था क्योंकि हिन्दी इंटरनेट की दुनिया अलग–अलग ट्रू–टाइप फ़ॉन्ट पर आधारित थी। सभी खोज इंजन रोमन लिपि पर आधारित थे और इन फ़ॉन्ट पर आधारित सामग्री को क्रॉल करके उन्हें खोज योग्य बनाना एक दुष्कर कार्य दिखाई दे रहा था।
तकनीकीविद् इसके समाधान की दिशा में काम कर रहे थे। कई प्रयोग जारी थे जिनमें से एक शुरुआती प्रयोग वेबदुनिया के खाते में ही दर्ज है। अपने पोर्टल की शुरुआत के मात्र 2 वर्षों के भीतर यानी 2001 में विश्व का पहला हिन्दी खोज इंजन वेबदुनिया ने बनाया। इस खोज इंजन के द्वारा वेबदुनिया पोर्टल पर उपलब्ध सामग्री को आसानी से खोजा जा सकता था जो हिन्दी में खोज इंजन बनाने की दिशा में पहला कदम साबित हुआ। हालाँकि अलग–अलग फ़ॉन्ट पर बनी वेबसाइटें अभी भी एक ही खोज इंजन के द्वारा खोज योग्य नहीं थीं और न ही इसका कोई समाधान हो सका। कुछ प्रयोग जरूर हुए जिनमें खोज इंजन के साथ एक फ़ॉन्ट परिवर्तक को जोड़ा गया जो फ़ॉन्ट परिवर्तन करके खोजकर्ता को यूनिकोड में परिणाम दिखाता था।
अंततः यूनिकोड के आगमन के बाद ही हिन्दी में खोज संभव हुई और इस कारण वेबसाइटों के उपयोगकर्ता भी बढ़ने लगे। कई वेबसाइटों ने अपनी खोज योग्यता बेहतर बनाने के लिए यूनिकोड अपनाया। आज किसी भी खोज इंजन के माध्यम से हिन्दी में भी किसी अन्य रोमन आधारित लिपि जितने ही सटीक परिणाम पाए जा सकते हैं।